सही मायनो में देखा जाए तो अल्पसंख्यक वर्ग में सिर्फ पारसी जैन सिंधी यहूदी बौद्ध सिख यही आना चाहिए देश को कानून बना देना चाहिए जिस भी धर्म या उनकी संख्या 5% से अधिक है उन्हें अल्पसंख्यक नहीं माना जाना चाहिए प्रत्येक देश में विश्व के किसी भी देश में उठा कर देखो तो 5% से अधिक किसी भी धर्म की जनसंख्या हो उन्हें अल्पसंख्यक वहां पर नहीं माना जाता है लेकिन भारत में वोट बैंक की राजनीति के चलते यहां पर 15 से 20% जनसंख्या वाले भी अल्पसंख्यक माने जाते हैं और जिन वर्ग को अल्पसंख्यक के रूप में लाभ मिलना चाहिए उनका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है