तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये बंदापरवर जाइये अच्छा ख़फ़ा हो जाइये (अहद-ए-करम = कृपा करने का वादा), (नाआशना = अजनबी, दुश्मन) राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़ राह-ए-सितम होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइये (अज़ राह-ए-सितम = सितम के रास्ते से, ज़ुल्म करने के वास्ते) जी में आता है के उस शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश से अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइये (शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश = बेरुख़ी/ उपेक्षा की इच्छा रखने वाला) हाय री बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर उस सरापा नाज़ से क्यूँ कर ख़फ़ा हो जाइये (बेइख़्तियारी = अपनेआप पर काबू न रख पाना, बेबसी), (सरापा नाज़ = बहुत ख़ूबसूरत, सर से पाँव तक सुन्दर) -हसरत मोहानी
very very heart touchig ghazal by JAGJEET JI, I was looking for this ghazal since last 15 years,,, thanks for upload, I think there is one more version of this ghazal with complete music, if you have , its my request you to kindly up load for us, thanks again for this beautiful ghazal
तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये बंदापरवर जाइये अच्छा ख़फ़ा हो जाइये (अहद-ए-करम = कृपा करने का वादा), (नाआशना = अजनबी, दुश्मन) राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़ राह-ए-सितम होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइये (अज़ राह-ए-सितम = सितम के रास्ते से, ज़ुल्म करने के वास्ते) जी में आता है के उस शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश से अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइये (शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश = बेरुख़ी/ उपेक्षा की इच्छा रखने वाला) हाय री बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर उस सरापा नाज़ से क्यूँ कर ख़फ़ा हो जाइये (बेइख़्तियारी = अपनेआप पर काबू न रख पाना, बेबसी), (सरापा नाज़ = बहुत ख़ूबसूरत, सर से पाँव तक सुन्दर) -हसरत मोहानी Hope this will help
तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये बंदापरवर जाइये अच्छा ख़फ़ा हो जाइये (अहद-ए-करम = कृपा करने का वादा), (नाआशना = अजनबी, दुश्मन) राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़ राह-ए-सितम होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइये (अज़ राह-ए-सितम = सितम के रास्ते से, ज़ुल्म करने के वास्ते) जी में आता है के उस शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश से अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइये (शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश = बेरुख़ी/ उपेक्षा की इच्छा रखने वाला) हाय री बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर उस सरापा नाज़ से क्यूँ कर ख़फ़ा हो जाइये (बेइख़्तियारी = अपनेआप पर काबू न रख पाना, बेबसी), (सरापा नाज़ = बहुत ख़ूबसूरत, सर से पाँव तक सुन्दर) -हसरत मोहानी