यह उन दिनों की बात है जब हिंदुस्तान गुलामी की जंजीरों में जकड़ा स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। जब हिंदुस्तान के हर कोने से आजादी के नारे लग रहे थे, देश इंकलाब जिंदाबाद बोल रहा था, तभी दूर पहाड़ों में एक मामूली सा इंसान अपनी पहाड़ी भाषा और पहाड़ी लहजे में क्रांति की धुन जमा रहा था. वो गांव-गांव घूमकर अपने लिखे लोकगीतों, कविताओं और कहानियों से अलख जगा रहा था. वो एक एक इंसान तक पहुंच कर उसे इस आजादी के आंदोलन से जोड़ रहा था. इस महान क्रन्तिकारी ने पहली बार पहाड़ी बोली को लिखा और उसे गा-गाकर लोगों को राष्ट्रव्यापी आंदोलन से जोड़ा. उनका नाम था बाबा कांशी राम. बाबा कांशी राम भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा महान क्रन्तिकारी साहित्यकार थे / बाबा कांशी राम जी का जन्म हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा व तहसील देहरा के डाडासिबा कसबे में गुरनवाड़ नाम के गांव के इसी घर में 11 जुलाई 1882 को हुआ था / उनके पिता का नाम लखनू राम और माता का नाम रेवती देवी था / लखनू राम इस क्षेत्र के माने हुए साहूकार थे / बाबा कांशी राम जी की शादी 7 साल की उम्र में हो गई थी उस समय उनकी पत्नी सरस्वती की उम्र महज 5 साल थी / बाबा कांशी राम जी 11 साल के थे जब सन 1893 उनके पिता का देहांत हो गया और एक वर्ष बाद उनकी माता का भी देहांत हो गया / परिवार की पूरी जिम्मेदारी सिर पर होने के कारण बाबा जी को काम की तलाश में लाहौर जाना पड़ा / उस समय आजादी का आंदोलन तेज हो चुका था और बाबा जी के दिल दिमाग में आजादी के नारे रह-रह कर गूंजने लगे थे / सन 1906 में उसी दौरान लाहौर में उनकी मुलाकात लाला लाजपत राय, लाला हरदयाल, शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह और मौलवी बरक़त अली जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से हुई / संगीत और साहित्य के शौकीन बाबा कांशी राम जी लाहौर की पापड़ मंडी में सूफी संत शहंशाह जी महाराज के संगीत से प्रभावित हुए और उनके अंदर का गायक प्रोत्साहित हुआ / बाबा कांशी राम जी बहुत पहले ये बात भांप गए थे कि संगीत सबको बांध कर रखता है. संगीत के जरिए अनपढ़ से अनपढ़ इंसान तक पहुंचा जा सकता है. इसके लिए उन्होंने लाहौर के धोबी घाट मंडी में रहते हुए गाना सीखा और अपनी बातों को लोगों तक पहुंचाने के लिए गाना शुरू किया. वो पहाड़ी भाषा में लिखते और गाते थे. वो कभी ढोलक तो कभी मंजीरा लेकर गांव-गांव जाते और अपने देशभक्ति के गाने और कविताएं गाते थे.” 4 अप्रैल सन 1905 को कांगड़ा घाटी में 7.8 की तीव्रता से भूकंप आया जिसमे करीब 27 हजार लोगों की जान चली गई और 50,000 से ज्यादा मवेशी मारे गए थे. उस समय लाला लाजपत राय जी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक टीम लाहौर से कांगड़ा पहुंची जिसमें बाबा कांशी राम भी शामिल थे. बाबा कांशी राम ने गांव-गांव जाकर भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद की. यहां से उनकी नजदीकियां लाला लाजपत राय जी से बढ़ीं और वो आजादी की लड़ाई में और सक्रिय हो गए. मगर 1911 में वो जब दिल्ली दरबार के उस आयोजन को देखने पहुंचे जहां किंग जॉर्ज पंचम को भारत का राजा घोषित किया गया था, बाबा कांशी राम ने ब्रिटिश राज के खिलाफ अपनी लेखनी को और धारदार बना लिया. 1919 में जब जालियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, बाबा कांशी राम उस वक्त अमृतसर में थे. यहां ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज बुलंद करने की कसम खाने वाले कांशीराम को 5 मई 1920 को लाला लाजपत राय के साथ दो साल के लिए धर्मशाला जेल में डाल दिया गया. इस दौरान उन्होंने पहाड़ी भाषा में कई कविताएं और कहानियां लिखीं. सजा खत्म होते ही कांगड़ा में अपने गांव पहुंचे और यहां से उन्होंने घूम-घूम कर अपनी देशभक्ति की कविताओं से लोगों में जागृति लानी शुरू कर दी. कहा जाता है उस वक्त तक बाबा कांशी राम का भाषायी जादू और प्रभाव इतना बढ़ चुका था की पालमपुर में एक जनसभा में उन्हें सुनने हजारों लोग इकट्ठा हो गए थे. ये देख अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. उनकी प्रसिद्ध कविता ‘अंग्रेज सरकार दा टिघा पर ध्याड़ा’ (अंग्रेज सरकार का सूर्यास्त होने वाला है). इसके लिए अंग्रेज सरकार ने उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया था मगर राजद्रोह का मामला जब साबित नहीं हुआ तो रिहा कर दिया गया. अपनी क्रांतिकारी कविताओं के चलते वो 1930 से 1942 के बीच 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे. जेल के दौरान उन्होंने लिखना जारी रखा. उन्होंने 1 उपन्यास, 508 कविताएं और 8 कहानियां लिखीं l 508 में से अभी तक 64 कविताएं ही छपी हैं, बाकी संदूकों में पड़ी धूल खा रही हैं. baba kanshi ram,baba ka dhaba,himachal pradesh,himachal pradesh shiksha samarth,lallantop baba kanshi ram,house of baba kanshi ram,kanshi ram,freedom fighter,lala lajpat rai,sardar ajit singh,Maulana barkar ullah,lahore,edudacion ministry,himachal gaurav,Himachal Pradesh,Shaheed Bhagat Singh,Rajguru,Sukhdev,dadasiba himachal pradesh,Gurnwar,Kangra,kangra earthquake 1905,dharamshala jail,General in black,revolutionary writer,pahari gandhi baba kanshi ram baba kanshi ram,baba ka dhaba,himachal pradesh,himachal pradesh shiksha samarth,lallantop baba kanshi ram,house of baba kanshi ram,kanshi ram,freedom fighter,lala lajpat rai,sardar ajit singh,Maulana barkar ullah,lahore,edudacion ministry,himachal gaurav,Himachal Pradesh,Shaheed Bhagat Singh,Rajguru,Sukhdev,dadasiba himachal pradesh,Gurnwar,Kangra,kangra earthquake 1905,dharamshala jail,General in black,revolutionary writer,pahari gandhi baba kanshi ram #ArastaCreations baba kanshi ram,baba ka dhaba,himachal pradesh,himachal pradesh shiksha samarth,lallantop baba kanshi ram,house of baba kanshi ram,kanshi ram,freedom fighter,lala lajpat rai,sardar ajit singh,Maulana barkar ullah,lahore,,himachal
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9 янв 2021