BAHUT BAHUT SUNDER KATHA MAHARAJ JE JAI SHREE SITA RAM JAN LAGA HARI EKEY NAAYE TIS KEY AAS VIRTHI NAHI JAYE SEVAK KO SEVA BAN AAYE HUKAM BUJEY PARAM PADH PAYE
मुझे अत्यंत गर्व है कि में और मेरे बाबा साहब ने बाबा मदन मोहन के चरणों में सेवा कि ।।और इसका लाभ श्री मदन मोहन बाबा ने हमको प्रदान किया मेरे बाबा की बात तो बाबा प्रत्यक्ष सुनते थे ।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 गुरुजी की जय, राधा रानी की जय, प्रभु कृष्ण की जय।गुरुजी आपका , राधा रानी का , प्रभु कृष्ण का ध्यान ओर भक्ति बनी रहे ओर बढ़ती रहे। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🙏🙏🙏🙏 राधे राधे गुरुदेव, मेरे गुरुदेव को मेरा सादर चरणस्पर्श, प्रभू मदन मोहन जी को कोटि कोटि चरणस्पर्श, जयपुर नरेश जयसिंह जी और करौली के राजा श्री गोपाल सिंह जी को और उनकी भक्ति को कोटि कोटि नमन।
जय जय श्री राधे 🙌🙇🙏🙏 Adbhut charitavali guru ji🙏🙏 Bhagwan shri Madan Mohan ji, Param Pujya Sant Shiromani shri Gurudev Bhagwan ji, mahan bhakt raja shri Gopal Singh ji ke shri Charno me Barambar koti koti Dandvat Pranam🙇🙏🙏
करौली के महान भक्त राजा गोपल सिंह जी व जयपुर के राजा भक्त जय सिंह जी के साथ श्री भगवान द्वारा की गई दिव्य लीला का भाव पूर्ण वर्णन। गुरू जी के चरणों में सादर पदवंदन
🔴🌕Sant Guruji Ko Sat Sst Pranam🌝🔘Radhe 🔵🌏Radhe🍇🕊️ Radhe🌻🕉️ Radhe 🌼🏵️Radhe🌝🌜Sita Ram🌷🍇 Sita Ram🍉🐤 Sita Ram💛💙 Sita Ram❄️❇️Sita Ram🔴🌕🔘🔘🌏🌝🌜💛💙❄️❇️✡️🕉️🌻☀️🍅☀️🌷🍇🐤🕊️🍈🍋🍐🍁🍅
गुरु जी गुस्ताखी माफ़ कीजियेगा ...दरअसल मदन मोहन जी और गोविन्द देव जी ये दोनों ठाकुर जी जयपुर में ही थे .... जयपुर के तत्कालीन महाराजा की पुत्री दोनों ठाकुर जी की पूजा सेवा किया करती थी... दोनों विग्रह एक जैसे दिखते थे ... एक बार करौली के महाराजा जयपुर पधारे ...और राजकुमारी जी के लिए विवाह प्रस्ताव जयसिंह जी के समक्ष रखा ...तब जयपुर नरेश ने एक शर्त रखी .... की करौली नरेश को ये बताना होगा की "राजकुमारी जी दोनों विग्रह की पूजा सेवा करती है परन्तु एक विग्रह से अतिशय ,बहुत ज्यादा प्रेम करती है वो विग्रह इन दोनों में से कोनसा है " अगर सही बता दिया तो विवाह की मंजूरी नहीं तो विवाह नहीं होगा करौली नरेश ने हामी भर दी ....परन्तु चिंतित हो उठे की सही उत्तर कैसे दिया जाए... रात को करौली नरेश को स्वप्न में ठाकुर जी बोले की चिंता मत करो .... कल में अपनी अंगुली को थोड़ा ुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुु ऊंचा कर दूंगा तब समझ जाना वही विग्रह है जिसको राजकुमारी अत्यधिक प्रेम करती है .... सुबह राजसभा में करौली नरेश की परीक्षा हुई ... ठाकुर जी ने अपनी अंगुलियां थोड़ी सी उठा दी ... करौली नरेश ने तुरंत पहचान लिया ...आज वही ठाकुर जी मदनमोहन जी है जिसे राजकुमारी जी विवाह पश्चात् अपने साथ करौली ले गई ...एक विग्रह आज भी जयपुर में है ...जिसे गोविन्द देव जी के नाम से जाना जाता है ❤️आज भी हम देख सकते है करौली के मदन मोहन जी की अंगुलियां ऊपर उठी हुई है ...वही हमारे जयपुर के आराध्य गोविन्द जी की अंगुलिया बंसी से उठी हुई नही है