तन्मय जी बहुत खूब ! तन्मय जी आप हारमोनियम बहुत बढ़िया बजाते हैं,प्रबुद्ध भी हैं और मेहनती भी ! अरे हाँ कुर्ता भी बहुत सुंदर पहने हैं। वैसे क्या आपको नहीं लगता कि थाट और राग का आपसी संबंध जो अभी तक पिता पुत्र के रूप में देखा और कहा जाता है उस विचार में कमियां अधिक हैं क्योंकि थाट तो बहुत बाद कि संकल्पना है लेकिन राग अत्यंत प्राचीन विचार है। रागों के प्राचीन और आधुनिक स्वरूप में भेद तो हो सकता है लेकिन राग की अवधारणा तो अत्यंत प्राचीन है। थाट की उपयोगिता तो रागों को श्रेणीबद्ध करने तक ही सीमित है। इसलिए थाट को पिता के रूप में देखना उचित सा नहीं लगता। प्रायः प्रयोग होने वाला वाक्य कि अमुक राग अमुक थाट से उत्पन्न होता है पूरी तरह से भ्रांत है क्योंकि बेटे से बाप नहीं जन्मता । बाप का अस्तित्व पहले आता है बेटे का बाद में।इस दृष्टि से राग बाप है और थाट बेटा। माफ़ी चाहूंगा लेकिन संगीत में अधिकतर इस ग़लती को दोहराया जा रहा है।
जब आपने भक्ति रस सुनाया तो मुझे पहले मुग़ले आज़म फ़िल्म का एक गीत याद आया जो कि ये है " ए मेरे मुश्किल कुशा, मुश्किल मेरी आसान कर ....ये भी एक इबादत है । बहुत सुंदर वर्णन।
आप हार्मोनियम कितना अच्छा बजाते हैं वह तो मैं उसी दिनसे जानता हूँ जब आपका सोलो वादन यहाँ बडौदामें एक छोटी सी प्रायवेट मैफिलमें सुना था। तो आज आपकी गायन-प्रतिभाके बारेमे कुछ कहूंगा। बहोत सारे सारंगी बजानेवाले बादमें गायक बन गए, और क्यूं, यह तो आप जानते ही होंगे। तो कहीं आप भी उस तरफ मुड़ गए तो यह हार्मोनियम वादनके क्षेत्रके लिए एक बहोत बड़ी क्षति होगी। लेकिन आप जो भी करें उसमें आप पूर्ण ज्वलंतताके साथ चमकें ऐसी शुभकामना!
नमस्कार. आपने राग हिंडोल मे जो धुन सुनायी वो मराठी मे स्वर्गीय भीमसेन जोशी ने गाया हुबा गीत " रम्य ही स्वर्गाहून लंका" इसको सुनिये. राग हिंडोल पंडितजी के आवाज मे खास मजा देती है..🙏
Tanmay .. i am ecstatic and in trance while listening to you. Being a senior citizen it is medicine which no doctors can give to me which relaxes my mind and nerves. Thank you 😊
Tanmay ji. Your harmonium is unique for producing classical tunes. You are also unique in presenting different sheds of that. May God bless you. It is very useful for learners
अप्रतीम! Enjoying a cup of cutting चहा this cloudy Seattle morning while listening to this. Would love your take on the other 9 thaats. Also, you’ve touched briefly on moorchhana but love more detailed examples. Saudagar was the master of that. Perhaps an example from natyasangeet?
Tanmay ji, bahut badhiya prayas hai aapka ... tarika to aur bhi badhiya hai...ek hi binati karta hu ..krupaya mahtvapurna shabdoko doharaiye .. unpar jor de.. ye mat समझना ki ahe shrota jaankar hai... उदाहरण कर लिये... आपने राग तथा ताल के नाम, जैसे केदार हमिर काहेरवा vagairah aapne ऐसे बोल दिये.. की anjaan श्रोताके kanome घुस नाही पाये तथा दिमागमे भी नहीं घुसे..
Sir pranam.apke harmonium mai darbar festival se sunta a raha hu.mujhe bohot pasand hai.aur yeh jo in search series apne suru kiya isme se bohot madat milta hai,bohot kuch jan pate hai.thank you sir🙏🙏.
THAAT KALYAN VERY WELL EXPLORED. YOU HAVE MASTERED HARMONIUM, YOU CAN BE A good VOCALIST ALSO BECAUSE YOU ARE AWARE OF WHAT YOU CAN DO IT. BUT harmonium YOU PLAY WITH NATURAL FLAW LESS MANNER. YOU KNOW LAY TAAL COMBINATION so YOU CAN MASTER THE VOCAL PART ALSO. ALL THE BEST.