#jageswar #trending #reel #viral #tour#shivtempleजागेश्वर समुद्र तल से 1,870 मीटर की ऊंचाई पर और अल्मोड़ा से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । जागेश्वर कुमाऊं का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं। यह घने देवदार के जंगल के बीच स्थित है जिसके पीछे एक नदी बहती है।अपने घर से दूर एक और घर वन सराय। बर्फ से आच्छादित् हिमालय के महान व अदभुत आकर्षक पर्वत शृंखलाओ के नज़दीक एक छोटा सा गाँव जागेश्वर धाम, जो की प्राचीन देवदारु के घने जंगलों के बीच मैं बसा हुआ है। संस्कृत या वैदौ मैं इन्हें दारूक वन भी कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगो मैं जागेश्वर धाम को अष्टम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
हिमालय पर्वत श्रृंखाओं के गोद में विशाल देवदारू वृक्षों के घने जंगलों के बीच में बसे है भगवान शिव। वैसे तो हिमालय में बहुत सारे शिव मंदिर बने है लेकिन जो जागेश्वर में शिव है वो बहुत ही प्राचीन है। वेदों पुरणों में जो कि अटल सत्य है उनमें श्री जागेश्वर शिव का नाम आता है। ये एकमात्र स्थान है जहां शिव अपने जागृत अवस्था में रहते है, जो मांगो वो मिल जाता है। पूरे सृष्टि में एक मात्र स्थान श्री जागेश्वर महादेव इनका इतिहास आप केदार खण्ड, शिव पुराण आदि में देख सकते है। उत्तराखंड में वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक, जगेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित मंदिरों का एक समूह है। यहां 124 बड़े और छोटे मंदिर हैं जो हरे पहाड़ों कि पृष्ठभूमि और जटा गंगा धारा कि गड़गड़ाहट के साथ बहुत खूबसूरत व सुंदर दिखते हैं। ए एस आई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के अनुसार, मंदिर गुप्त और पूर्व मध्ययुगीन युग के बाद और 2500 वर्ष है। मंदिरों के पत्थरों, पत्थर की मूर्तियों और वेदों पर नक्काशी मंदिर का मुख्य आकर्षण है। मंदिर का स्थान ध्यान के लिए भी आदर्श है|
27 май 2024