'Jai Siya Ram' is a celebration of spirituality and devotion. Savour the joyful sankirtan by Anandmurti Gurumaa and experience the rapturous bliss of chanting "Jai Siya Ram".
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Sung & Composed : Anandmurti Gurumaa
Rhythm & Percussions : Rakesh, Prashant
Chorus: Gandharva Mahavidyalaya
Music, Recorded, Mixed & Mastered: Kanchman Babbar at G-Studios
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जय सिया राम जय जय सिया राम ।
बिनु सतसंग बिबेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।
सतसंगत मुद मंगल मूला।
सोइ फल सिधि सब साधन फूला।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी।।
आत्माधारं स्वतन्त्रं च सर्वशक्तिं विचिन्त्य च ।
चिन्तयेच्चेतसा नित्यं श्रीरामःशरणं मम ॥ ४॥
एक अनीह अरूप अनामा।
अज सच्चिदानंद पर धामा।।
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना।
तेहिं धरि देह चरित कृत नाना।।
नित्यात्म गुण संयुक्तो नित्यात्मतनुमण्डितः ।
नित्यात्मकेलिनिरतः श्रीरामःशरणं मम ॥ ५॥
बंदउँ नाम राम रघुवर को।
हेतु कृसानु भानु हिमकर को।।
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो।
अगुन अनूपम गुन निधान सो।।
गुणलीलास्वरूपैश्च मितिर्यस्य न विद्यते ।
अतोवाङ्मनसा वेद्यः श्रीरामःशरणं मम ॥ ६॥
नाम रूप गति अकथ कहानी।
समुझत सुखद न परति बखानी।।
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी।
उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी।।
नित्यमुक्तजनैर्जुष्टो निविष्टः परमे पदे ।
पदं परमभक्तानां श्रीरामः शरणं मम ॥ ९॥
रूप बिसेष नाम बिनु जानें।
करतल गत न परहिं पहिचानें।।
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें।
आवत हृदय सनेह बिसेषें।।
कर्ता सर्वस्य जगतो भर्ता सर्वस्य सर्वगः ।
आहर्ता कार्य जातस्य श्रीरामःशरणं मम ॥ ७॥
नाम जीहँ जपि जागहिं जोगी।
बिरति बिरंचि प्रपंच बियोगी।।
ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा।
अकथ अनामय नाम न रूपा।।
ऋषिरूपेण यो देवो वन्यवृत्तिमपालयत् ।
योऽन्तरात्मा च सर्वेषां श्रीरामःशरणं मम ॥ १२॥
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20 мар 2023