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जगचिंतामणी जगगुरु जगत शरण आधार
लाल रे
(कर्ता: पूज्य श्री पद्मविजयजी महाराज)
जगचिंतामणि जगगुरु, जगत शरण आधार लाल रे;
अढार कोडाकोडी सागरे, धरम चलावणहार लाल रे...१
अषाढ वदि चोथें प्रभु, स्वर्गथी लीये अवतार लाल रे;
चैतर वदि आठम दिने, जनम्या जगदाधार लाल रे...२
पांचसे धनुषनी देहडी, सोवन वरण शरीर लाल रे;
चैतर वदि आठमें लियें, संजम महा वडवीर लाल रे...३
फागुण वदि ईग्यारसें, पाम्या पंचम लाल रे;
महा वदि तेरसे शिव वर्या, जोग निरोध करी झाण लाल रे...४
चोराशी लाख पूर्वनुं, जिनवर उत्तम आय लाल रे;
'पद्मविजय' कहे प्रणमतां, वहेलुं शिवसुख थाय लाल रे...५
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15 сен 2024