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jaipur muharram 2021(panigaran) dhol mattam 

jaipur vision vlog (jvv)
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Jaipur panigaran tajiya matam

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20 сен 2024

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Комментарии : 42   
@haseenahmedqureshi9161
@haseenahmedqureshi9161 2 года назад
👑❤️YA HUSSAIN YA ABBAS ❤️❤️👑👑❤️YA HUSSAIN YA ABBAS ❤️👑YA QASIM YA ALI AZGHAR YA ALI AKBAR👑👑❤️YA SHAHODAY KARBALA ❤️❤️👑👑YA HASSAN 👑❤️YA HUSSAIN YA HUSSAIN YA HUSSAIN❤️❤️👑❤️❤️❤️❤️👑👑
@AsadKhan-xq5wd
@AsadKhan-xq5wd 2 года назад
Hamne ek entick Cheez bana rahe Hai moharram pr abki Baar
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 2 года назад
Me aane wala hu waha video banane ke liye
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@allshowmovie5798
@allshowmovie5798 4 месяца назад
استغفر الله العظيم واتوب
@mr.mahid_khan3links..800
@mr.mahid_khan3links..800 3 года назад
अपना मोहल्ला🙌
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Ha bhai
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@mohdattari1768
@mohdattari1768 3 года назад
Bhai jaipur me Ghat gate ke Ariya me Moharam nikal raha hai kya
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Nahi bhai
@sameekhan9067
@sameekhan9067 3 года назад
Nhi
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@AsadKhan-xq5wd
@AsadKhan-xq5wd 2 года назад
Assalam alekum bhai
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 2 года назад
Walaikum assalam
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@faizukhan8291
@faizukhan8291 3 года назад
Bhai muhrram niklege kya
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Nahi bhai
@haseenahmedqureshi9161
@haseenahmedqureshi9161 2 года назад
HA NIKLEGE IN SHA ALLAH IS BAR
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
मुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@SufiyanKhan-ow1pj
@SufiyanKhan-ow1pj 3 года назад
Ok
@syedambar.4887
@syedambar.4887 3 года назад
Ramganj ka matam bhi dalo
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Ramganj me khi par bhi taziye nahi nikal rahe hai
@syedambar.4887
@syedambar.4887 3 года назад
@@jaipurvisionvlogjvv Matam to ho raha h
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@dr.shivanshchandrasharma1730
@dr.shivanshchandrasharma1730 3 года назад
Alam ka juloos h kya ??
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Nahi Yeh to Sirf imam bado me matam kar rahe hai
@dr.shivanshchandrasharma1730
@dr.shivanshchandrasharma1730 3 года назад
No Alam No taziya No katl ki raat k din badi chaupad kuch ni hoga Teesra saal h yeh abhki baar
@dr.shivanshchandrasharma1730
@dr.shivanshchandrasharma1730 3 года назад
Aap videos bhejna matam ki Bagru valo ka rasta n all sabh ki Tavyafo ka mohalla sabh ki
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Koi baat nahi Yaar is Waqt halat hi esey hai to koi kya kar sakta hai
@dr.shivanshchandrasharma1730
@dr.shivanshchandrasharma1730 3 года назад
@@jaipurvisionvlogjvv yeh tho h aap kaha rhte ho jaipur m
@rkhan3121
@rkhan3121 3 года назад
Nari Ka Naka Madina Masjid jaipur.
@sameekhan9067
@sameekhan9067 3 года назад
Mohalla pannigarn
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@sameekhan9067मुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@haseenahmedqureshi9161
@haseenahmedqureshi9161 2 года назад
👑❤️❤️👑👑👑YA ALI YA FATIMA SARKAR YA HASSAN YA HUSSAIN YA ABBAS YA QASIM YA ALI AKBAR YA ALI ASGHAR👑👑👑👑👑👑👑👑👑YA SHAHEED E KARBALA👑👑👑👑👑AAKA IMAM MEHDI👑👑👑👑IMAM ZAFAR IMAM BAAKAR👑👑KAMAR E BANI HASHIM ABUL FAZAL ABBASS👑👑👑IMAM NAQI IMAM TAQI 👑👑IMAM E ZAMAAN👑👑IMAM ASKARI 👑👑IMAAM ZAINULABEDEEN 👑👑👑👑👑IMAM MUZA E KAZIM👑👑👑YA HUSSAIN YA ABBAS👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨✨✨✨✨✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨👑👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨✨👑YA HUSSAIN YA ABBAS👑👑👑👑👑✨✨✨👑✨✨✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨👑✨✨✨✨✨✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑✨✨✨✨✨✨✨👑👑✨👑👑👑✨👑✨👑✨👑👑✨✨👑👑YA ZAINEB YA SAKEENA SARKAR👑✨✨👑👑✨✨✨👑✨👑👑👑✨👑👑👑✨👑👑✨✨👑👑👑👑👑👑👑✨✨✨✨👑👑👑👑👑✨👑✨👑👑👑👑✨✨👑👑👑YA BIIBI RABAAB YA BIBI SARKAR SHER BANU👑✨✨👑👑👑👑👑YA MA AYESHA 👑✨✨👑👑YA MA MARIYAM👑👑✨✨👑✨✨👑YA MA ASHIYA 👑✨✨👑👑👑👑👑👑✨🌟⭐💫💫⭐⭐🌟🌟👑👑👑👑👑👑❤️❤️❤️✨✨👑👑👑✨✨👑🌟✨YA HUSSAIN✨✨🌟👑👑❤️❤️❤️❤️❤️❤️👑👑⭐⭐⭐🌟👑👑👑👑YA ABBAS👑👑🌟👑👑❤️❤️👑❤️👑❤️👑❤️👑👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑👑✨✨👑👑✨✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑YA HUSSAIN YA ABBAS YA HUSSAIN YA ABBAS YA HUSSAIN YA ABBAS👑✨✨👑👑👑💫👑💫👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑👑🌟🌟👑🌟👑🌟👑⭐✨⭐👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑⭐👑⭐👑⭐👑💫👑💫👑💫👑⭐👑⭐👑💫👑💫👑⭐👑⭐💫👑👑⭐⭐👑💫👑💫👑⭐👑⭐👑💫👑💫👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑💫👑💫⭐👑⭐👑⭐👑💫👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐⭐👑👑⭐💫👑💫👑⭐👑⭐👑💫👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐⭐👑⭐👑⭐👑⭐⭐✨💫✨⭐✨⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑👑⭐⭐👑👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐⭐👑👑⭐👑⭐👑⭐⭐👑⭐👑👑⭐⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑YA HUSSAIN YA ABBAS👑⭐⭐⭐👑💫💫👑💫👑✨👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑YA GAUS YA GREEB NAWAZ SARKAR YA FAKHAR SARKAR YA HUSSAMUDDIN SAHAB YA DAATA AMAANISHAH SAHAB YA MAULANA ZIAUDDIN SAHAN YA AADAM SHAH BABA👑💫💫💫💫💫❤️👑❤️❤️👑👑❤️👑🌟👑🌟👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑⭐👑✨👑✨👑⭐⭐👑⭐⭐👑YA HAJI ALI SARKAR YA BABA BAHAUDIN SAHAB YA ABDUL REHMAN BABA YA HAJI MALANG SAHAB YA MAKHDOOM SAHAB AKAA👑⭐⭐⭐👑👑🌟👑🌟🌟👑✨✨👑👑🌟👑🌟👑🌟👑🌟👑🌟👑🌟👑🌟👑🌟👑YA HUSSAIN YA ABBAS YA NIZAMUDDIN SAHAB🌟🌟👑👑👑⭐✨✨👑👑👑👑YA MASTAN YA JALAL SHAH YA LEHAR ALI SHAH 👑✨✨✨👑👑👑👑👑👑👑👑✨✨✨❤️❤️🌟🌟🌟🌟🌟✨👑👑👑👑👑YA HUSSAN YA ABBAS ✨👑👑👑👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫💫💫💫💫💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑YA BOO ALI SHAH QALANDAR YA WARISH PIYAA 👑💫💫💫🌟✨👑👑👑👑YA HUSSAIN YA ABBAS👑👑✨✨👑👑👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫💫👑💫💫👑👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑👑❤️👑❤️❤️👑💫👑💫👑💫👑❤️👑❤️👑⭐👑⭐👑❤️👑❤️👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑💫👑YA HUSSAIN YA ABBAS YA QASIM YA ALI ASGHAR YA ALI AKBAR👑💫💫✨👑✨✨👑✨👑🌟👑👑✨👑✨👑🌟👑👑🌟👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑✨✨👑🌟👑🌟👑🌟👑👑🌟👑✨👑✨👑✨👑✨👑🌟👑🌟👑🌟👑👑🌟👑🌟👑✨✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨👑✨✨👑
@AsadKhan-xq5wd
@AsadKhan-xq5wd 2 года назад
Ab Ki Baar to taziye niklengena Apne Jaipur me
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 2 года назад
Ha yaar ab ki baar ache se video banana hai
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
मुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
@dr.shivanshchandrasharma1730
@dr.shivanshchandrasharma1730 3 года назад
Ohh taze niklnge kya
@jaipurvisionvlogjvv
@jaipurvisionvlogjvv 3 года назад
Nahi
@GkTinker-rj9hl
@GkTinker-rj9hl 2 месяца назад
​@@jaipurvisionvlogjvvमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है। सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है। कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है। क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता। क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता। मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है। सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है। इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
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