@@KeshavKumar-lg4hs Leave the shirt, wear a loin cloth, beg for food, roam in jungles or slave the Brahmin. Gobar gawar Shoooodra should not bark much.
भारत मां के सच्चे सपूत उधमसिंह को सलाम🙏 आपने जलियांवाला बाग के हत्यारे को उसके देश में जाकर मारा💪🇮🇳 कोटि-कोटि नमन जलियांवाला बाग के शहीदों को, हम सब भारतीय आपके हमेशा ऋणी रहेंगे
There was no us and then clearly. India was made as a country by British and soon after 1857, the new religion - Hinduism with a adjective 'Sanathana Dharma' was born. The new Hindu nationalists called the British mini empire in India as 'Bharat' - a mythical small kingdom ruled by 8th century story character named 'Rama'.
@@hawkingdawking4572 bahan ke lode ,tera islam ka namu nishan nahi tha jab sanatan dharma ,hinduism me aya ,ajj puri diniya maanti ,madrasa se bahar nikl
यह वीडियों और इसमें बताई गई कहानी पूरी तरह से झूठी है। इतिहास को मिटाने की साजिश है। जलियावाला बाग़ में शहीद सभी लोग अछूत थे। इन अछूतों को ब्रिटिश सरकार ने फ़ौज में शामिल होने का मौका दिया। इन्होने ने प्रथम विश्वयुद्ध में बहादुरी का प्रदर्शन किया। इनमे कुछ शहीद भी हुए। प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होने पर सालों अपने घर-परिवार से दूर रहे सैनिक वापस अपने घर सही-सलामत आये तो इन्होने ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेक कर गुरुग्रंथ साहेब को शुक्रिया करने के लिए स्वर्ण मंदिर गए। परन्तु स्वर्ण मंदिर में मठाधीश जो थे वे सब उच्च जाति के थे। इसलिए उन्होंने अछूतों को स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने से रोक दिया। परिणामस्वरूप अछूतों ने जलियांवाला बाग में विरोध प्रदर्शन के लिए औरतों, बच्चों, बुजुर्गों संग इक्क्ठा हुए। इसकी भनक जातिवादी जत्थेदार को लगी। उसने जनरल डायर को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कुछ लोग जलियावाला बाग़ में इक्क्ठा हो रहे है। जनरल डायर बिना उचित जाँच के वहां इक्कठा लोगों पर गोलियों की बरसात करवा दिया। जिसमे बच्चे, औरते, बुजुर्ग अधिक संख्या में शहीद हुए। बाद में, उसी स्वर्ण मंदिर में अछूतों की हत्या करने के लिए जनरल डायर को सम्मानित भी किया गया। इस प्रकार, जातिवाद के चलते हुए इस नरसंहार को देश की आज़ादी से जोड़कर असली इतहास को छुपा दिया गया। जबकि जलियावाला बाग़ मामला ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नहीं बल्कि जातिवाद के खिलाफ था। नीचे लिखे बिंदुओं को पढ़िए और ध्यान से निष्पक्षतापूर्वक सोचिए - १) यदि यह ब्रिटेन शासन के प्रति बगावत होती तो खुली सभा की जाती, क्या ? नहीं, बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था इसलिए यह सभा खुले में की गयी थी। २) यदि अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत होती तो क्या इसमें औरते और बच्चे बुजुर्ग शामिल होते? नहीं , बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था। इसलिए इस सभा में औरते, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए। ३) जलियावाला बाग़ का बदला किसी जाट भगत सिंह या ब्राह्मण विस्मिल या चंद्र शेखर आज़ाद ने क्यों नहीं लिया? जलियावाला बाग़ हत्याकांड का बदला अछूत उधम सिंह ने ही क्यों लिया? क्योंकि जातिवादी सामजिक व्यवस्था वाले समाज में अछूतों के नरसन्हार का बदला अछूत नहीं तो क्या कोई सवर्ण लेगा? ४) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंद्र शेखर आज़ाद को शहीद-ए-आज़म घोषित कर दिया गया परन्तु ब्रिटेन में जाकर जनरल डायर को मारने वाले उधम सिंह को आज तक शहीद-ए-आज़म नहीं घोषित किया गया। क्यों? क्योकि उधम सिंह अछूत समाज में जन्मे थे। ५) उधम सिंह को भारत की किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया परन्तु जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी तो अछूत समाज में जन्मी परम आदरणीय बहनजी ने 1995 के अपने पहले कार्यकाल में ही उधम सिंह नगर जिला बनाकर, उधम सिंह को सच्ची श्रंद्धाजलि दी। उत्तराखण्ड बनने के बाद उधम सिंह नगर जिला अब उत्तराखंड में आता है। ६) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंदशेखर आज़ाद, विस्मिल, मंगल पांडेय, राणा प्रताप आदि पर बहुत से गीत लिखे गए, फिल्मे बनी, लेख लिखे गए, किताबे लिखी गयी, जबरदस्ती उनकों महान बनाने के लिए उनकी विचारधारा गढ़ी गयी परन्तु भारत के तथाकथित विद्वानों ने उधम सिंह के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं किया? क्योकि उधम सिंह अछूत थे। फिलहाल, आज के तथाकथित इतिहासकारों और ऐसी डाकूमेंट्री बनाकर झूठ परोसने वालों को शर्म आनी चाहिए। ये जातिवादी देश है। यहाँ पर वंचित जगत को हर विधा से दूर रखा जाता है। यही वजह है कि बसपा की सरकार बनने पर बहनजी ने दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज में जन्मे नायकों को विभिन्न स्मारकों में स्थापित कर बहुजन समाज के इतिहास और उनके नायकों को अमर कर दिया है। शुक्रिया बहनजी
जितना जुल्म दलितों ने सवर्ण समाज के हाथों से हजारों सालों तक सहा है उतना जुल्म किसी भारतीय ने कभी किसी और के हाथों से नहीं सहा है। और ये सिलसिला आज भी जारी है। 😔
Kis jagah ki baat kar rahe ho bhai ... Mere yaha to sare dalito ka reservation se government job ho gya hai...aaj hamlog unlogo ke yaha kaam krte hai ..kis duniya me ji rahe ho bc...ab kahi aisa nhi hota ..or ekaat ho jaata hoga kahi to usko saja honi chahiye ...or uske chakkr me saare logo ko gaali tum nhi de sakte...😌
There was no us and then clearly. India was made as a country by British and soon after 1857, the new religion - Hinduism with a adjective 'Sanathana Dharma' was born. The new Hindu nationalists called the British mini empire in India as 'Bharat' - a mythical small kingdom ruled by 8th century story character named 'Rama'.
There was no us and then clearly. India was made as a country by British and soon after 1857, the new religion - Hinduism with a adjective 'Sanathana Dharma' was born. The new Hindu nationalists called the British mini empire in India as 'Bharat' - a mythical small kingdom ruled by 8th century story character named 'Rama'.
@@Patriot1000 that time every body was weak coz of poorness and hunger... fighting was not an option... diplomacy other name given as non violence.... bhagat like people were extremely rare.... how much that 1 or few people could've fight?????? Understand that time was time when people dint know wat is swarajya and u expect them to fight????? People were dying coz of heavy taxes and out of hunger and u think they can fight???? Then why Indians were doing job in british-indian army and police services....all police men who captured and tutored bhagat singh was indians.... dont u know that?? That times requiremnt wsd different.. plz think abt this.....
Don't worry Russia would take our 200 years revenge from Britain by dropping atomic bomb . Not only Britain whole west would meet his devastating end in ww3
My grandmother did went there in search of her uncle with her mother after the jallianwala massacre her uncle was injured she told me at that time my grandmother was seven years old
यह निहत्थे लोगों का नरसंहार था जिसने अंग्रेज़ो की करनी कथनी को उजागर कर दिया।क्रूर डायर जनरल का जनाजा सरदार उधम सिंह ने निकाल दिया यही तो है सच्ची देशभक्ति जिस पर हर भारतीय को नाज़ है यह हिन्द जय भारत
@@sanjaysrivastav5601 यह वीडियों और इसमें बताई गई कहानी पूरी तरह से झूठी है। इतिहास को मिटाने की साजिश है। जलियावाला बाग़ में शहीद सभी लोग अछूत थे। इन अछूतों को ब्रिटिश सरकार ने फ़ौज में शामिल होने का मौका दिया। इन्होने ने प्रथम विश्वयुद्ध में बहादुरी का प्रदर्शन किया। इनमे कुछ शहीद भी हुए। प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होने पर सालों अपने घर-परिवार से दूर रहे सैनिक वापस अपने घर सही-सलामत आये तो इन्होने ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेक कर गुरुग्रंथ साहेब को शुक्रिया करने के लिए स्वर्ण मंदिर गए। परन्तु स्वर्ण मंदिर में मठाधीश जो थे वे सब उच्च जाति के थे। इसलिए उन्होंने अछूतों को स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने से रोक दिया। परिणामस्वरूप अछूतों ने जलियांवाला बाग में विरोध प्रदर्शन के लिए औरतों, बच्चों, बुजुर्गों संग इक्क्ठा हुए। इसकी भनक जातिवादी जत्थेदार को लगी। उसने जनरल डायर को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कुछ लोग जलियावाला बाग़ में इक्क्ठा हो रहे है। जनरल डायर बिना उचित जाँच के वहां इक्कठा लोगों पर गोलियों की बरसात करवा दिया। जिसमे बच्चे, औरते, बुजुर्ग अधिक संख्या में शहीद हुए। बाद में, उसी स्वर्ण मंदिर में अछूतों की हत्या करने के लिए जनरल डायर को सम्मानित भी किया गया। इस प्रकार, जातिवाद के चलते हुए इस नरसंहार को देश की आज़ादी से जोड़कर असली इतहास को छुपा दिया गया। जबकि जलियावाला बाग़ मामला ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नहीं बल्कि जातिवाद के खिलाफ था। नीचे लिखे बिंदुओं को पढ़िए और ध्यान से निष्पक्षतापूर्वक सोचिए - १) यदि यह ब्रिटेन शासन के प्रति बगावत होती तो खुली सभा की जाती, क्या ? नहीं, बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था इसलिए यह सभा खुले में की गयी थी। २) यदि अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत होती तो क्या इसमें औरते और बच्चे बुजुर्ग शामिल होते? नहीं , बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था। इसलिए इस सभा में औरते, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए। ३) जलियावाला बाग़ का बदला किसी जाट भगत सिंह या ब्राह्मण विस्मिल या चंद्र शेखर आज़ाद ने क्यों नहीं लिया? जलियावाला बाग़ हत्याकांड का बदला अछूत उधम सिंह ने ही क्यों लिया? क्योंकि जातिवादी सामजिक व्यवस्था वाले समाज में अछूतों के नरसन्हार का बदला अछूत नहीं तो क्या कोई सवर्ण लेगा? ४) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंद्र शेखर आज़ाद को शहीद-ए-आज़म घोषित कर दिया गया परन्तु ब्रिटेन में जाकर जनरल डायर को मारने वाले उधम सिंह को आज तक शहीद-ए-आज़म नहीं घोषित किया गया। क्यों? क्योकि उधम सिंह अछूत समाज में जन्मे थे। ५) उधम सिंह को भारत की किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया परन्तु जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी तो अछूत समाज में जन्मी परम आदरणीय बहनजी ने 1995 के अपने पहले कार्यकाल में ही उधम सिंह नगर जिला बनाकर, उधम सिंह को सच्ची श्रंद्धाजलि दी। उत्तराखण्ड बनने के बाद उधम सिंह नगर जिला अब उत्तराखंड में आता है। ६) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंदशेखर आज़ाद, विस्मिल, मंगल पांडेय, राणा प्रताप आदि पर बहुत से गीत लिखे गए, फिल्मे बनी, लेख लिखे गए, किताबे लिखी गयी, जबरदस्ती उनकों महान बनाने के लिए उनकी विचारधारा गढ़ी गयी परन्तु भारत के तथाकथित विद्वानों ने उधम सिंह के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं किया? क्योकि उधम सिंह अछूत थे। फिलहाल, आज के तथाकथित इतिहासकारों और ऐसी डाकूमेंट्री बनाकर झूठ परोसने वालों को शर्म आनी चाहिए। ये जातिवादी देश है। यहाँ पर वंचित जगत को हर विधा से दूर रखा जाता है। यही वजह है कि बसपा की सरकार बनने पर बहनजी ने दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज में जन्मे नायकों को विभिन्न स्मारकों में स्थापित कर बहुजन समाज के इतिहास और उनके नायकों को अमर कर दिया है। शुक्रिया बहनजी
When I look the present condition of India I feel extremely sorry for the people who lost their lives for this country. What our heroes dreamed about the nation and what is happening now....only because of very few peoples.
Only politician is not responsible, we the citizens of India is more responsible. most of us have given vote in name of religion, cast, identity. we wanted freedom but we hardly wanted to perform our duty. we are one the most unethical, hypocrite, raciest people on earth.
Bhai mujhe English nhi aati lekin aap jo likhe hai Bo mai samjh gya hu aur apse bilkul bhi sahmat agar apko Bharat ke halat bure najar aa rahe h to duniya me aisa kaun sa Desh hai jaha har koi khush hai
यह वीडियों और इसमें बताई गई कहानी पूरी तरह से झूठी है। इतिहास को मिटाने की साजिश है। जलियावाला बाग़ में शहीद सभी लोग अछूत थे। इन अछूतों को ब्रिटिश सरकार ने फ़ौज में शामिल होने का मौका दिया। इन्होने ने प्रथम विश्वयुद्ध में बहादुरी का प्रदर्शन किया। इनमे कुछ शहीद भी हुए। प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होने पर सालों अपने घर-परिवार से दूर रहे सैनिक वापस अपने घर सही-सलामत आये तो इन्होने ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेक कर गुरुग्रंथ साहेब को शुक्रिया करने के लिए स्वर्ण मंदिर गए। परन्तु स्वर्ण मंदिर में मठाधीश जो थे वे सब उच्च जाति के थे। इसलिए उन्होंने अछूतों को स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने से रोक दिया। परिणामस्वरूप अछूतों ने जलियांवाला बाग में विरोध प्रदर्शन के लिए औरतों, बच्चों, बुजुर्गों संग इक्क्ठा हुए। इसकी भनक जातिवादी जत्थेदार को लगी। उसने जनरल डायर को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कुछ लोग जलियावाला बाग़ में इक्क्ठा हो रहे है। जनरल डायर बिना उचित जाँच के वहां इक्कठा लोगों पर गोलियों की बरसात करवा दिया। जिसमे बच्चे, औरते, बुजुर्ग अधिक संख्या में शहीद हुए। बाद में, उसी स्वर्ण मंदिर में अछूतों की हत्या करने के लिए जनरल डायर को सम्मानित भी किया गया। इस प्रकार, जातिवाद के चलते हुए इस नरसंहार को देश की आज़ादी से जोड़कर असली इतहास को छुपा दिया गया। जबकि जलियावाला बाग़ मामला ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नहीं बल्कि जातिवाद के खिलाफ था। नीचे लिखे बिंदुओं को पढ़िए और ध्यान से निष्पक्षतापूर्वक सोचिए - १) यदि यह ब्रिटेन शासन के प्रति बगावत होती तो खुली सभा की जाती, क्या ? नहीं, बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था इसलिए यह सभा खुले में की गयी थी। २) यदि अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत होती तो क्या इसमें औरते और बच्चे बुजुर्ग शामिल होते? नहीं , बिलकुल नहीं। क्योकि यह सभा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि सवर्ण मंदिर में अछूतों के प्रवेश रोकने के विरुद्ध था। इसलिए इस सभा में औरते, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए। ३) जलियावाला बाग़ का बदला किसी जाट भगत सिंह या ब्राह्मण विस्मिल या चंद्र शेखर आज़ाद ने क्यों नहीं लिया? जलियावाला बाग़ हत्याकांड का बदला अछूत उधम सिंह ने ही क्यों लिया? क्योंकि जातिवादी सामजिक व्यवस्था वाले समाज में अछूतों के नरसन्हार का बदला अछूत नहीं तो क्या कोई सवर्ण लेगा? ४) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंद्र शेखर आज़ाद को शहीद-ए-आज़म घोषित कर दिया गया परन्तु ब्रिटेन में जाकर जनरल डायर को मारने वाले उधम सिंह को आज तक शहीद-ए-आज़म नहीं घोषित किया गया। क्यों? क्योकि उधम सिंह अछूत समाज में जन्मे थे। ५) उधम सिंह को भारत की किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया परन्तु जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी तो अछूत समाज में जन्मी परम आदरणीय बहनजी ने 1995 के अपने पहले कार्यकाल में ही उधम सिंह नगर जिला बनाकर, उधम सिंह को सच्ची श्रंद्धाजलि दी। उत्तराखण्ड बनने के बाद उधम सिंह नगर जिला अब उत्तराखंड में आता है। ६) जाट भगत सिंह, ब्राह्मण चंदशेखर आज़ाद, विस्मिल, मंगल पांडेय, राणा प्रताप आदि पर बहुत से गीत लिखे गए, फिल्मे बनी, लेख लिखे गए, किताबे लिखी गयी, जबरदस्ती उनकों महान बनाने के लिए उनकी विचारधारा गढ़ी गयी परन्तु भारत के तथाकथित विद्वानों ने उधम सिंह के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं किया? क्योकि उधम सिंह अछूत थे। फिलहाल, आज के तथाकथित इतिहासकारों और ऐसी डाकूमेंट्री बनाकर झूठ परोसने वालों को शर्म आनी चाहिए। ये जातिवादी देश है। यहाँ पर वंचित जगत को हर विधा से दूर रखा जाता है। यही वजह है कि बसपा की सरकार बनने पर बहनजी ने दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज में जन्मे नायकों को विभिन्न स्मारकों में स्थापित कर बहुजन समाज के इतिहास और उनके नायकों को अमर कर दिया है। शुक्रिया बहनजी
They all were foreigners , there were two units of soldiers, 1) Gorkha, Yes Gorka means Nepali , they were not Indian 2) Baluch , yes baluch of Baluchistan Not Indian And ofcourse commanding officer was British
@@gyanbaram7284 Baluch is an Iranian ethnic group, found in Sistan-baluchistan region of Iran and also in Pakistan in Baluchistan province, They are not Indian
@Amaan XIl-C sciencemoreover baluch are ethnically Iranian and racially iranic , they don't identify themselves Indians, Calling them Indian is like calling Japanese as Chinese
Shame on you "Doordarshan" (India's national broadcaster; who have been busy doing "chatu giri" of politicians) never broadcasted such fine documentary about sacrifice of common Indians ... Really appreciate free British press and broadcasters like BBC who remind us about such inhuman masacre by the then British raaj.. Thank you BBC
जलियांवाला बाग और स्वर्ण मन्दिर दोनों पास पास ही है। दुर्घटना होने से पहले और बाद में स्वर्ण मंदिर का व्यवहार जांच का विषय होना चाहिए। दुर्घटना के बाद स्वर्ण मंदिर की प्रतिक्रिया सार्वजनिक होनी चाहिए।
VO haramzade suar dayar puri fauj leker aya tha rifle ke sath jabki vo log nihatte unper attack karte to khud ko goli lag sakti thi aur unke pass chote bache air aurate bhi thi hah esa ho sakta tha ki uski army main ek dayar per goli chala deta tab shayad jaliwalabhag tal sakta tha lekin afsos un indians apna zamir bech diya air angrezo ki ghulami karte rahe udham singh dayar ko marne gua tha lekin uski paralice hone ki death ho gyi for maicle dayar ko khatam kiya udham singh ne
जलियांवाला बाग में मीटिंग किस पार्टी के लीडर ने आयोजित की थी, लीडर कौन कौन मारे गए, तथ्यात्मक जानकारी दीजिए।गाना बहुत गाया जाता है।आयोजक कोन थे, आज तक किसी ने नहीं बताया।
क्यों चलाई का डिबेट करवाने के लिए धन्यवाद रिहान फजल साहब....कुछ तो बेवफाई का शिकार हुआ होगा रांझा जनरल डायर.....जनरल डायर ने बहुत अच्छे काम भी किए थे हम भारतवासी जनरल डायर से माफी मांगते हैं...प्रेम में मारना मरना नहीं कहते...यूट्यूब पे हम नल्ले गरीब को ऐसी जानकारी देने से ही हम vikshit होंगे🙏