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Jantar Mantar जंतर मंतर भारत का एक इतिहासिक व् राष्ट्रीय ये धरोहर है। राजस्थान की राजधानी जयपुर की एक विश्व प्रशिद्ध स्मारक है। महाराजा सवाई जय सिंह ने जंतर मंतर का निर्माण शुरू किया था जो सन 1738 में पूरा हुआ था। जंतर मंतर में सबसे दुनिया की बड़ी दीवारघडी बनी हुई है जो पत्थरो की है और साथ ही यह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है। यह स्मारक जयपुर शहर के सिटी पैलेस और हवा महल के पास बना हुआ है। यह प्राचीन इतिहासिक स्मारक प्राचीन आर्किटेक्चरल कलाओ को दर्शाता है।
स्मारक में पीतल के यंत्र देखने लायक भी है। इसके अंदर संस्कृत शब्दों की कलाकृतियाँ भी की गयी है। और उस समय की इतिहासिक संस्कृतीयो की जानकारी देता है और साथ ही 18 वी शताब्दी के लोगो की विचारधारा को दर्शाता है। सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध इस वेधशाला का निर्माण आमेर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1728 में अपनी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734 में जाके पूरा हुआ था। सवाई जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे,
सवाई जयसिंह ने जंतर मंतर वेधशाला का कार्य शुरू करने से पूर्व दुनिया के कई देशों में अपने खगोलशास्त्र भेज कर वहां से खगोल-विज्ञान के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियाँ की जानकारी इकठी की थीं और उन्हें अपने संग्रलये में संरक्षित कर अपने अध्ययन के लिए उनका अनुवाद भी करवाया था। हामाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने हिन्दू खगोलशास्त्र में आधार पर देश भर में पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था।
ये वेधशालाएं जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बनवाई गई इन वेधशालाओं के निर्माण में उन्होंने उस समय के प्रख्यात खगोशास्त्रियों की मदद ली थी। सबसे पहले महारजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने उज्जैन में सम्राट यन्त्र का निर्माण करवाया, उसके बाद दिल्ली स्थित वेधशाला (जंतर-मंतर) और उसके दस वर्षों बाद जयपुर में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। देश की सभी पांच वेधशालाओं में जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है।
इस वेधशाला के निर्माण के लिए 1724 ईस्वी में आरंभ किया गया निर्माण कार्य 10 वर्ष बाद 1734 में यह कार्य पूरा हुआ। जयपुर का जंतर मंतर बाकी के जंतर मंत्रों से आकार में तो बहुत बड़ा है ही, शिल्प और यंत्रों की दृष्टि से भी इसका कोई मुकाबला नहीं है। सवाई जयसिंह निर्मित पांच वेधशालाओं में आज केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही शेष बचे हैं, बाकी पुराने खंडर में तब्दील हो गए हैं।
जयपुर जंतर-मंत्र में स्थित यन्त्र आज भी सही तरह अपने कार्य कर रहे है जिनसे हर साल वर्षा का पूर्वाभास तथा मौसम संबंधी जानकारियां सहि समय पर मिल जाती है। यंत्रों के सही सलामत होने के कारण ही यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया।
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15 сен 2024