जल , चंदन मिलाने से अर्घ पुनः गीला हो जाता है। जिससे जीव उत्पन्न होने की संभावना होती है , अतः यह नहीं मिलाए तो ही उत्तम है , , यह प्रवचन में सुना था ।
मेरे जीवन में आपकी वाणी का बहुत प्रभाव रहता है और मुझे सम्यक समाधान देने की कृपा करें, जब मुझे दिगंबर जैन मन्दिर में सीमंधर स्वामी भगवान का मन्दिर मिल जायेगा, उसके बाद मुझे अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं रहेगी लेकिन जब तक नहीं है तब तक मैं अरिहंत प्रभु के ज्ञान, दर्शन, चरित्र को वंदन करके आता हु, मुझे आशा है कि आप मुझे सही मार्ग दर्शन करेंगे
पंडित जी आपकी वाणी में सत्यता, सौंदर्यता का अद्भुत मिश्रण है मैं आपसे बहुत प्रभावित हु,मेरी एक जिज्ञासा है आप समाधान करेंगे तो बड़ा उपकार होगा, आपने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि श्वेताम्बर प्रतिमा को वंदन करने से मिथ्यात्व दोष लगता है मेरा आपसे प्रश्न यह है कि हम अरिहंत प्रभु श्री सीमंधर स्वामी भगवान को वंदन करने जाते है तो उनके ज्ञान, दर्शन, चरित्र, उनके अनंत गुणों को वंदन करते है उनकी प्रतिमा का आलंबन लेकर, क्योंकि हमारे नजदीक में अरिहंत भगवान सीमंधर स्वामी का मंदीर नहीं है हालांकि हम यह जानते है कि अरिहंत प्रभु तो वीतराग है उनके तिल तुष परिग्रह नहीं है लेकिन भोले जीव उनकी प्रतिमा को भक्ति वश कुछ भी फेर फार करते है लेकिन हम तो प्रभु गुणों की पूजा करते है तो उसमें मिथ्यात्व का दोष कैसे आयेगा,