टैंलेंट को मंच की आवश्यकता नहीं पड़ता है। बहुत बढ़िया प्रयास है। टैंलेंट जहां भी प्रस्तुत किए जाते हैं। वहीं मंच बन जाते हैं। बस टैंलेंट के लिए पारखी नजर होने चाहिए। टैंलेंट की कोई स्थाई घर नहीं होता है।
ऐसा डान्स आदिवासी जनजाति लोग कर सकते हैं ओर कि बसकी नहि है डान्स तो बहुत देखा लेकिन ऐसा सुपर डान्स पहिली बार देखा हु मै नेपाल से हु मै दादरा नगर हवेली अनुरिता ईनटर प्राईजेस कम्पनी मे था हाल गुजरात सुरत मै हुँ ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️