प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक कपाल मेचन मेला का आयोजन बिलासपुर में कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर होता है। उस दिन लगभग 10 लाख तीर्थयात्रियों को पवित्र श्रोताओं पर पवित्र डुबकी लगाई जाती है।
कपाल मोचन को गोपाल मोचन के रूप में भी जाना जाता है। यह जगाधरी शहर से लगभग 17 किलोमीटर उत्तर पूर्व में है | यह हिंदुओं और सिखों दोनों के लिए तीर्थ यात्रा का एक प्राचीन स्थान है। इसका महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि इसका नाम महाभारत और पुराणों में कई जगहों पर प्रकट होता है।कपाल मोचन को तीनों पौराणिक संसारों में प्रसिद्ध माना गया है। यह सभी पापों का नाश करने वाला है पवित्र टैंक में डुबकी लेकर भक्तों ने पापों से छुटकारा पा लिया जाता है। कपाल मोचन सरस्वती नदी के किनारे एक प्राकृतिक खोखला है। 1679 ईस्वी में भंगनी की लड़ाई के बाद पौोंटा साहिब के रास्ते पर गुरु गोबिंद सिंह ने भी इस जगह का दौरा किया था। वह 52 दिन तक रुके और पूजा करते थे उनके सैनिक अपने हथियार साफ करते थे और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें परीक्षण करते थे। उन्होंने कपाल मोचन के मुख्य पुजारी को स्मृति चिन्ह के रूप में अपने हस्ताक्षर की तांबे की थाली दी। द्रोपति और पांच पांडवों ने भी इस पवित्र स्थान का दौरा किया।
Kapal Mochan Tirth: सुल्तानपुर लोधी में स्थित ताम्र पत्रों पर लिखित दुनिया की एकमात्र ज्योतिष विज्ञान का ग्रंथ श्री भृगु संहिता में किसी भी प्रकार के ऋण- चाहे वह धन का ऋण, माता-पिता ऋण, भ्राता व भगनी, मित्र या गुरू ऋण ही क्यों न हो सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त होने के लिये कलयुग में धरती लोक पर केवल एक ही स्थान है और वे स्थान हैं कपालमोचन तीर्थ पर स्थित तीन सरोवर जिन्हें कपाल मोचन, ऋण मोचन व सूरजकुंड के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थ स्थान भारत देश के हरियाणा राज्य के यमुनानगर के जगाधरी टाउन में स्थित
यह उपाय कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किया जाता है जो कि 8 नवम्बर 2022 के दिन है। यह उपाय उस समय किया जाता है, जिस समय चंद्रमा की किरणें सांयकाल के समय तालाब के जल पर पड़ जायें व पूर्णिमा तिथि भी होनी चाहिए।
कपाल मोचन स्नान की सामग्री व विधि: 365 रूई की बतियां (जिन्हें सरसों के तेल में भिगोकर रख दी जायें)। 2 वस्त्र जैसे कि अंगोछा या तौलिया इत्यादि।
हरे आंवले इच्छानुसार। 250 ग्राम चने की दाल। एक लाल चुनरी छोटी।
आधा कटा हुआ सूखा नारियल। एक रूई की गोल जोत। थोड़ा सा देशी घी। यथाशक्ति दक्षिणा।
पहला स्नान कपाल मोचन तीर्थ पर करना है- जिस स्थान पर गऊ बछड़ा मंदिर है। उसी के आसपास के घाट पर स्नान करना ज्यादा शुभ माना जाता है। सबसे पहले चंद्र दर्शन करके तालाब में दूध व दक्षिणा ( जो कि सिक्के के रूप में हो) को तालाब में डाल दें व स्नान करने की आज्ञा प्राप्त करें (ऐसे मन में भाव हो)। तालाब में स्नान के पश्चात 365 रूई की बतियां जलायें व उसके बाद तुलसी माता को चुन्नी ओढ़ायें व वहीं पर ही आधे कटे हुए नारियल में रूई की देशी घी की जोत जलायें व तत्पश्चात गउ बछड़ा मंदिर में वस्त्र, चने की दाल, आंवलें व इच्छानुसार दक्षिणा अर्पण करें व गऊ के कान में अपनी इच्छा बोलनी चाहिए।
दूसरा स्नान ऋणमोचन सरोवर में करना है- तालाब में दूध व दक्षिणा ( जो कि सिक्के के रूप में हो) को तालाब में डाल दें व स्नान करने की आज्ञा प्राप्त करें (ऐसे मन में भाव हों) व स्नान करें व कर्ज से मुक्ति व सभी प्रकार के ऋण से मुक्त होने की मनोकामना करें।
तीसरा स्नान सूरजकुंड सरोवर में करना है - तालाब में दूध व दक्षिणा ( जो कि सिक्के के रूप में हो) को तालाब में डाल दें व स्नान करने की आज्ञा प्राप्त करें (ऐसे मन में भाव हों) व स्नान करें व उत्तम स्वास्थ्य व ज्ञान प्राप्ति की मनोकामना करें तत्पश्चात वहां पर उपस्थित साधु जनों को यथाशक्ति गर्म वस्त्र, चप्पल, जूते इत्यादि व यथाशक्ति दक्षिणा इत्यादि दान दें।
इस तरह से यह स्नान लगातार तीन कार्तिक पूर्णिमा तक करना चाहिए। जिसके प्रभाव से शनः शनः कर्जवान व्यक्ति कर्ज मुक्त होता रहता है।
18 июн 2024