#भीनमाल म्हारो# गीत महालक्ष्मी ओ नगर बसायो , महाकवियो री धरती !! #Bhinmal Mharo Song#Bablu Ankiya#Rajasthani song#newrajasthanisong#
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☢ Song :- ''''' भीनमाल म्हारो ''''''
☢ Album :- महालक्ष्मी ओ नगर बसायो , महाकवियो री धरती
☢ Singer :- Bablu Ankiya
☢ Producher :-Ghanchi Ramesh chouhan 9549488043
☢ Staring :- Nilesh Vaishnav
☢ Editor :- Rahul bhai
☢ Music :- Dinesh Silagva
☢ Recording :- Mahadev studio
☢ Cameraman :- Surender singh
☢ Digital Partner: Anita Films (Mumbai)
☢ Sub Category :- New Latest Rajasthani Bhinmal Mharo song 2023
☢ Director :- Ghanchi Ramesh chouhan 9549488043
☢Lyrics :- Ramavatar Rabari
☢ ©Copyright :- Mahima Music Rajasthani
☢ Special Thanks :- All Mahima Music Fan's Club ,
राजस्थान के मारवाड़ में भीनमाल शहर है, जिसे मां लक्ष्मी ने बसाया था। मारवाड़ के भीनमाल शहर में करीब 734 साल पुराने जिले का एकमात्र महालक्ष्मी मंदिर प्रदेशभर में प्रसिद्ध है। भीनमाल शहर से खुद महालक्ष्मी का जुड़ाव भी है। श्रीमाल पुराण और हिंदू मान्यताओं के अनुसार विष्णु भार्या महालक्ष्मी द्वारा ही भीनमाल नगर बसाया गया था। इस वजह से भीनमाल का पुराना नाम श्रीमाल नगर था।
ऐतिहासिक भूमि भीनमाल को विद्वानों की भूमि भी माना जाता है। प्राचीन काल से भीनमाल हमेशा एक महान शिक्षा केंद्र माना जाता था। यहाँ के विद्वानों की ख्याति दूर दूर तक हुआ करती थी। इस महान भूमि पर संस्कृत के महाकवि माघ का जन्म हुआ था, महाकवि माघ ने शिशुपाल वध नामक ग्रंथ की रचना की थी।
भारत के महान खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि भी भीनमाल है, जिन्होंने ब्रह्म स्फुट सिद्धांत और खण्ड्-खण्डकव्य की रचना की थी। इसके अलावा कई महान जैनाचार्यों का भी जन्म इस धरती पर हुआ है, जिनके द्वारा जैन एवं संस्कृत साहित्य की उपमिति, प्रप्रंच कथा, जैन रामायण् और कुवयलमाला आदि ग्रंथों की रचना की गई।
600 वर्ष पुराना है इतिहास
भीनमाल का वराहश्याम मंदिर देश के अति प्राचीन मंदिरों में से एक है. यह मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है. वराह श्याम मंदिर की जन्माष्टमी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर में एसा कोई स्थान नहीं है, जहां देव विराजीत नहीं हो, परिक्रमा पथ से लेकर मंदिर की हर दिवार पर किसी न किसी देवी-देवता की प्रतिमा मौजूद हैं. मंदिर में स्थापित वराहश्याम भगवान की मूर्ति जैसलमेर के पीले प्रस्तर से निर्मित है. जो आठ फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी है. मूर्ति की दायीं भुजा में भगवान मेदिनी को धारण किए हुए है और उनके चरणों के पास नाग-नागिन का युगल है, जिनका ऊपरी हिस्सा मानव आकृतियों जैसा है. इनके पास ही इंद्राणी तथा नारद की प्रतिमाएं भी उत्कीर्ण है. मूर्ति इतनी भव्य एंव कलात्मक है कि मेदिनी उद्धार की घटना प्रत्यक्ष घटित होते हुए दिखाई पड़ती है. इस मंदिर में स्थित मूर्तियां, खंभे व अवशेष सतयुग काल की खुदाई के दौरान निकले हुए हैं, जिन्हें इस मंदिर में स्थापित किया गया है. वही मंदिर के मुख्य कक्ष के बाहर भगवान वराहश्याम के ठीक सामने वाली दीवार में सांतवी से दसवीं शताब्दी के बीच बनी अनेक दुर्लभ मूर्तियां लगी हुई है. जिनमें गणेश भगवान, शिव भगवान, राधाकृष्ण व वराह भगवान की शामिल है. मंदिर की अन्य दीवारों में भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से प्राप्त अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई है. जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष व देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है.
पौराणिक कथाओं में है वर्णन
मंदिर में लंबे समय से शाकद्वीपीय ब्रह्माण समाज के लोग पूजा करते आये है. भगवान वराह के चरण पाताल लोक अथवा नाग लोक में तथा सिर अंतरिक्ष में है, जिनके बीच पृथ्वी स्थित है. इसी कक्ष में वराह की अन्य लघु मूर्तियां भी रखी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यक नामक राक्षश पृथ्वी को समुंद्र तल में ले गया तो, भगवान विष्णु ने वराहश्याम के रुप में तीसरा अवतार लेकर पाताल लोक में राक्षश का वध करके पृथ्वी को मुक्त करवाया. इस कक्ष के बहार की दीवार में भगवान सूर्य की पारसी पूजा पद्धति की मूर्ति लगी हुई है, जो जूते पहने हुए है. यह एक अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है जो ईसा की पहली-दूसरी शताब्दों के आस-पास इस क्षेत्र के पश्चिम एशिया के घनिष्ठ संपर्कों की कहानी कहती है.
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3 ноя 2023