#BabaRahmerInterviewWithPawanMalik #AbhimanyuMoviesAbNews PawanMalik Cont.9068767681 #LakhmiChand // बाबा रामहेर ने खोले सूर्य कवि पंडीत लख्मी चंद की जिन्दगी के सारे राज
जय श्री राधे जय श्री कृष्ण आज के युग में सच्चाई कहने वाले बहुत कम इंसान बचे हैं। बाबा रामेहर जी ने जितनी बातें कही बिल्कुल सच्ची हैं। क्यों कि हमारी भी उम्र छयासठ के करीब है। दादा लखमी चंद जी के बारे में हमने भी खूब सुना है कि सरस्वती उनके साथ ही तख्त पर चलती थी।
Dad a lakhmichand k sath p.maichand.p.mangeram. dulli.or ratti. 1940me vert man uttrakhend state k dist . haridwar k narsankĺan village me sang k helne aya tha. P.s.rathi narsanklan dist haridwar uttrakhend.
महाराज जी मैं प्रणाम करता हूं आपको एक बात कह रहा हूं मैंने भी इतिहास पड़ी ढूंढी , समुद्री जहाज में ही दिल्ली आई थी जहाज समुद्र में ही नहीं चलते, छोटे बड़े साइज के अनुसार चलते हैं , नदियों में भी चलते थे, बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ी तीरथ नदियां हैं हमारी गंगा जमुना और जमुना नदी दिल्ली के साथ चलती है नदी (जलमार्ग) में व्यापार की वजह से ही दिल्ली घाट बना और हापुड़ से दिल्ली भी आती थी हापुड़ से दिल्ली भी आती थी और जलमार्ग से ही आते थे यह भी इतिहास में पड़ा है पुराणों में भी इनका वर्णन है इनमें रोड नहीं होने की वजह से व्यापार सामान इन्हीं के द्वारा व्यापार होता था, मुगलों ने अंग्रेजों ने भी व्यापार नदियों के द्वारा ही किया , इलाहाबाद से गंगासागर तक अभी भी नाव चलती हैं दोबारा उद्घाटन किया है मोदी ने अब मे और उस समय में और उस समय में गंगा नदी के स्थान ,एरिया का कितना प्रारूप बदल गया, हम आज को देख रहे हैं और यह 200 साल पुरानी बात है हु इस जमाने में कितना अंतर था प्रकृति में आज कितना कुछ बदल गया तेज गति से जमाने के हिसाब से ताराचंद के समय पर ताराचंद की बात 200 साल पुरानी है व्यापार होता था नाव के द्वारा यह सच बात है उसको जहाज शब्द बोला उन्होंने अपनी कविता में लेकिन उन्नाव में आए थे यह भी सच बात है और दिल्ली राजघाट पर यहां उतरे हो यह भी बात सच है क्या मोदी ने अब इलाहाबाद से पर वहां तक निजात चला दिए समुद्री जहाज की तरह ऐसे व्यापार होते थे बात है यह जो कोई कह रहा दिल्ली में जहाज से नहीं आई उसको ज्ञान नहीं है इतिहास का, जिंदगी के अनुभव का, पुराणों अनुभव हीनआदमी है
भाई पवन मलिक तुम इसी तरह असे अनसुने किस्से सुनवाने के लिए बहुत बहुत आभार और आप दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करो व बाबा साहेब का भी बड़ा अहसान कि अपने किमती समय दे अपनी जानकारी से अवगत कराया ।
पंडित राममेहर जी ने पंडित लख्मी जी के बारे में गहनता से बहुत ही अच्छे तरीके से बताया जो हमें सार्थक लगा। पवन भाई आपने वास्तविकता दर्शाया उसके लिए एक अच्छे इंसान को चुना ।धन्यावद। हितेष पाँचाल।
भाई , बात तो सारी मन की है , दाड़ी और सिर के बाल बढ़ाने से कुछ नहीं होता । आपने भगवाँ रंग की पहचान गजब की बताई है । दादा लख्मी चन्द के साँग में " ईड़ा , पिंगला और सुशुम्ना नाड़ी " का भी जिक्र किया गया है। नारायणा गाँव नई दिल्ली से राम राम जी ।
Wah! Malik Sahib excellent and awesome interview. Baba Ramehar and you are asset of our beloved Haryana. Thank you for serving and preserving cultural values of Haryana. Regarding Pt Lakhmi chand, he was really a propagator of Maa Saraswati. He was a melodious king and angel of knowledge and a great creator.
Bahut badhiya jaankari PT. Lakhmi Chand Ji ke baare me aapne hame dilwayee. Bahut bahut dhanyawad aapka aur baba Ramher ka. God bless you and your channel.
दिल्ली में यमुना का बहुत बड़ा तट था इसलिए दिल्ली तक समुद्री मार्ग था। इसलिए ये बात झूठ नही है कि "जहाज के मह बैठ सेठानी आई दिल्ली में" धर्म मालकी जहाज में ही आई थी।
Bhai jamna te uttarakhand te shru hoi hai ar samundar kataiye niche hai तो samundariye tat ka koi tuk nahi hai. Haan ek baat ho sake hai ki koi choto jahaj hoga
10 और 12 साल की कन्या कही। 10+12=22 , 10 या 12 साल की नही कही। दादा लखमीचन्द ने 30 साल के पुरूष के साथ 22 साल की कन्या के विवाह की बात कही ।,न कि 10 या 12 साल
यहां पर बाबा जी की बात सही है। क्योंकि पं जी ने 10 और 12 ही गाया था और उस दौर 12-13 साल की उम्र तक लडकी की शादी कर दी जाती थी। अपने आप तोड़ मरोड़ करना ठीक नहीं है। 22 तो पहली बार सुना है 😃😃
10और 12साल की कन्या ठीक तरह से टोह कर कै( मतबल ) सही उमर की कन्या से शादी करना मतबल 10 ,और 12 साल की कन्या से विवाह नहीं करना है अपनी उमर के हिसाब से शादी करना जोड़ी तभी जचती है
बड़े अचरज की बात हुई, एक पुत्र हीजड़ै जाया महतारी स्नान नहीं किन्हा विर्यदान पिता नहीं दीन्हा आप ही आप भोग कर लीन्हा फिर कौन पिता कौन मात हुई कुछ नहीं समझ में आया कौन विधि कुण रस्ता पा कै कैसे पड़ा गर्भ मैं जा कै जन्मत गेरा अलग उठा कै उस बालक कै धात हुई, फिर किस ने उसे बचाया कवि पण्डित मोहर सिंह जी साल्हावास
नहीं विकास पहासौरिया जैसे ज्ञानी व गायक राजस्थान में हजारों मिल जायेंगे, विकास तो उनके आस पास भी नहीं हैं हां मटकी राग में हो सकता है मटकी राग का दायरा बिल्कुल सीमीत है