LIVE: Wheat पर बड़ा फैसला, खुले बाजार में गेहूं बेचेगी सरकार, तय किया दाम, किसानों को कितना नुकसान! Kisantaklive #Wheat #Wheatprice #WheatOmss #Wheatrate
खेती के नाम पर जो सबसे भी किसान को सरकार के द्वारा दी जाती है वह सब्सिडी डायरेक्ट किसान के खाते में डालना सरकार की योजनाओं में किसी को शामिल करने की जरूरत क्योंकि मोदी जी ने ऐसा खाता बना दिया है की भयंकर पिता का पानी डालना चाहिए
देश की हर सरकार कर्मचारी का वेतन व मजदूर की मजदूरी हर छह माह में बढ़ाकर किसान का गेंहू छह साल पुरानी दर पर खरीदने के साथ चाहती है की देश गेंहू उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाए, देश भक्ति का ठेका केवल किसान का ही नही है, जब सरकार गरीब को फ्री गेंहू बांट ही रही है तो किसान को पूरी कीमत देने में क्या समस्या है,किसान को केवल अपने प्रयोग हेतु गेंहू की खेती करके अन्य कृषि भूमि पर नकदी फसलों का उत्पादन करना चाहिए।
सरकार को सिर्फ वोट की राजनीति करना है उनका कोई किसी से मतलब नहीं है आज गरीब को 500 रुपए रोज की मजदूरी देने को तैयार है और किस को आईएस 2000 गेहूं कुंतल के देने को तैयार नहीं है किसान गेहूं पकता है उसको फिल्म में बाढ़ देता है और जो दूसरी फसल पकड़ता है उसको देश में बैंड लगा देते हैं फिर वह कहां किस तो पूरी 12 महीने की फसल को पका कर वह कुएं में ही डालेगा उसके लिए क्या कौन सी योजना है और किस का अगर थोड़ा सा अगर दिखता है तेज बहाव में सरकार आयात करती है क्या आंधी सरकारों को पट्टी खोलने चाहिए एक अपने भारत देश में ऐसी गांधारी भी थी इसके आंख पर पट्टी बांध ली थी इस ऐसी स्थिति में सरकार ने भी आंखों पर पट्टी बांध लिए
किस कमेटी के किसान अध्यक्ष से निवेदन है कि वह सरकार पर बात पहुंचाई और किसानों को अच्छा नाम दिलाया जाए और किस का कर्ज कुत्ता सरकार बनेगी और गरीबों को फल और योजना जो फ्री की है वह सभी बंद करना चाहिए और किसने की भी योजना सभी बंद करना चाहिए क्योंकि योजनाओं के पीछे दूसरे फ्री के लोग पढ़ रहे हैं इसलिए अनुभव नहीं योजनाएं पूरे भारत देश में बंद करना चाहिए
Kisan bhaiyo ko raja banna ho to aage se gehu apne ghar ke liye boye baki gehu 1 lakh rupay kwintal ki advance booking par hi boye ...dusari fasal boye gehi nahi kisan andolan ka sath de ..bjp corporate ki agent hai
क्षूट मत बोलो लगता है तुम बीजेपी के ऐजेन्ट लग रहा है मध्यप्रदेश सरकार ने एक किलोग्राम भी समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं खरीदा है और लगता है कि ग्वालियर चंबल संभाग में किसान नेता मिलें हुए हैं किसी ने आवाज तक नहीं उठाई