साधना जैन,,, गुरुजी आपने गजब गजब की बात कही ❤❤ मिथ्या दृष्टि के अंदर chalta कुछ है,,, बोलना कुछ है,,, और मान्यता कुछ और है,,,, यह मिथ्यत्व का सबसे बड़ा लक्षण है,,,, गजब की बात कही❤❤ हमने अपनी स्थिति के अनुसार संतोष धारण कर लिया है,,, जैसे कि अंगूर नहीं मिले तो कहते हैं खट्टे हैं,,,,😂 हमें वास्तव में अंदर से संतोष नहीं है,,,, इसी का नाम मिथ्यत्वहै,,, और भी गजब की बात बताई❤❤ हमें कोई मिथ्या दृष्टि कह दे तो बुरा नहीं लगता,,, क्योंकि हमें मिथ्या दृष्टि रहने में कोई तकलीफ नहीं है,,, यदि हमें कोई पापी कहे तो बहुत बुरा लगता है,,,, क्योंकि हमको यह खबर ही नहीं है कि पापी का पर्यायवाची मिथ्या दृष्टिहै 🙏🙏🙏
यहां कुछ ज्ञानी मुनियों को दोष देते रहते हैं और अपने नियम और व्रत और श्रद्धा का कैसे निर्वाह किया जाए उसका ध्यान नहीं रख पाते इस बारे में आपके विचार जरूर लिखिए