mans machhli khane wale manav nhi danav//मांस मछली खाने वाले मानव नहीं दानव//संत श्री रमाशंकर साहेब ।#mansmachhli #मांसमछली #ramashankar #rajupardesibhakti
ऐसे महात्मा को बारंबार प्रणाम करते हैं और महात्माओं का अवतार ही जनमानस को सतमार्ग बताने के लिए होता है लेकिन सत्य यह है कि कुछ महात्मा ही अपने सतमार्ग से विचलित हो जाते हैं
A gyan kya dega chor h es des ko barbad karane par tula h jiv nahi maroge to a janvar sa kha jayenge abhi keval gaya katana band kiya h tab sab bol rahe h ki fasal khay ja rahi h
साहेब जी बहुत बहुत प्रणाम मांस मछली खाने वाला दानव तो विदेशी आर्य ब्राह्मण ही है। भातीय लोग द्रविड़ बौद्ध धर्मी पहले एस सी एस टी ओबीसी शुद्ध शाकाहारी ही थे। राजबाला से त्रिबचा(तीन बचन)बंधाकर धन धरती शिक्षा भीख की याचना की आड़ में बौने कद का बामन बिष्णु ने छल कपट कर छीन लिया। तब से दो हजार दो सौ चार वर्ष बीत गाया। सम्पूर्ण अधिकार आजतक नहीं मिला। जिससे आज भी द्रविड़ मांस मछली खा रहे हैं। यह तो सोशित बंचित लोग हैं। द्विज लोग तब भी खाये और आज भी खा रहे हैं। इसलिए दानव विदेशी राक्षस दुष्ट हिन्दू मंगोलिया से भगायी गयी एक चोर चमार ब्राह्मण ही हैं।
Jay jay Shree Radhe Shyam guru ji 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🙏❤️🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🌾🦜🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मानव मनुष्य। इंसान सब एक ही हे और पृर्थवी पर इंसान ही एक मात्र ऐसा बुद्धिमान जिव हैं । बाबाजी इतिहास पलटे आदी मानव का पाठ पढ़ें आपके परदादा ओर परदादा के दादा के परदादा शाय़द मांसाहारी ही होगा इसलिए आप भक्ति भाव से खुब बोलें, हैं मानव- दानव का पाठ न पडाये
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के साथ विचार व्यक्त किए, यही तो पूज्य गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र जी महाराज, (पंच ज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम धाम,#BMKS ) चाहते हैं कि मानव सिर्फ मानव बन जाय साधक साधु संत बनना तो आध्यात्मिक यात्रा की अगली कड़ी है। श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की मुख्य विचार धारा ही समाज को नशा मुक्त मांसाहार मुक्त और चरित्रवान जीवन जीते हुए मां की दिव्य चेतना घर घर में पहुंचना है।
जय गुरु देव ,मानव जब जानवरों के जैसा हिंसात्मक विचार और व्यवहार हो तो जानवर के समान है ।इंसान में इंसानियत का गुण होना अनिवार्य है । दूसरे जीव की हत्या कर खाने वाले संत तो क्या वे इंसान भी नहीं है । आपका प्रवचन हमारे देश के सभी नागरिक के लिए खासकर हिन्दू धर्म वाले दलित और शुद्र के लिए वरदान है । जिसे आज तक कोई पंडित सही ज्ञान नहीं दिया पुजा किया और दक्षिणा लेकर चल दिया । आपको नमन् 🙏🙏🙏🙏
प्रकृति में दो प्रकार के जीव होते हैं एक शाकाहारी दुसरा माँसाहारी ।शाकाहारी जीव कभी किसी का नुकसान नहीं करता है ।प्रकृति ने भी मानव को शाकाहारी बनाया है इस बात का प्रमाण आपने दिया है।
गूरूदेव आप के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। आज हमारा भाग्य भलाही जाग्या सतगूरूजी का दर्शन पाया जन्म जन्म से पाप करत हैं आज समझ में आया।ghasiram Chouhan
गुरुदेव जी सत सत नमन प्रणाम गुरुजी जो शाकाहारी होता है वेदों का उच्चारण करता है तीर्थ स्थलों में पूजा करने जाता है बहुत पढ़ा लिखा होता है धनवान होता है और वहवह दूसरों के आत्मा को अपनी बाड़ियों से अपने जीवा के स्वर से.हनन करते हैं और उसे दुख देते हैं और वह दुख से अपना प्राण त्याग देता है तो वह बुद्धिमान शाकाहारी किस श्रेणी में आएगा मुझे कमेंट करके बताने का दया करें कृपा करें
दोनों अपने अपने जगह पर सृष्टि के लिए सही है सही और गलत दोनों रहेंगे तभी सृष्टि गतिमान हो सकती है सिर्फ सही ही हो जाएगा तो फिर लफड़ा है गलत का होना उतना ही जरूरी है जितना सही का होना जरूरी है समाज के लिए मांस खाने वाले भी और ना खाने वाले भी दोनों अपने अपने जगह पर अहम रोल अदा करते हैं
कलयःग के दानव हैं जच मराहूवा लाश खाता है वह मानव का हो या भेब बकरी का हच वह तो लाश ही है जय हिनद जयहिन्द भारत माता की जय जय सिरी राम राम जयसिरी राम जयसिरी राम जयसिरी राम जयसिरी राम जयसिरी राम