वीडियो के माध्यम से बहुत ही उपयोगी बाते जन मानस तक पहुचाने का कार्य आपने किया है, और पैरेंट्स को घर का कबूतर बनने से अच्छा है खुद को बाहर निकालिए आलस्य छोड़िए और बच्चो को पढ़ाई के साथ साथ किसी भी अन्य चीजो के तरफ मोड़िये, बच्चो को मैदान से जोड़िए, मैदान जीवन से खत्म होते जा रहे है, मैदान तनाव दूर करता है, अलग अलग लोगो से मेल जोल बढ़ाता है तो सोचने समझने का दायरा बढ़ता है, मोबाइल एडिक्शन से बचना है तो पैरेंट्स को पुराने दिनों की तरह मुहल्ले कॉलोनी में समय बिताना चाहिए, मुहल्ले से तो बच्चे ही गायब हो चुके है... हम सब समाज का हिस्सा है, जैसा कि वीडियो में सर ने जिस खतरनाक चीज पर प्रकाश डाला है वो बहुत गंभीर है। वीडियो के माध्यम से पहले दिन से ही बदलाव लाइये। धन्यवाद सर जो आपने महत्वपूर्ण मुद्दे पर वीडियो साझा की।
माननीय भाई, आपने बहुत बड़ी और गंभीर बातें की हैं, निश्चय ही विषय बहुत चिंतनीय है। मैं बाल साहित्य का लेखक हूँ, मेरी गत वर्ष scert ने सोलह पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ से मुझे लल्ली प्रसाद पांडेय बाल साहित्य पत्रिकारिता सम्मान 51 हजार का सम्मान मिला। आपने भी तो मुझे गुरुदेव कश्यप पत्रकारिता सम्मान दिया है। मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ, आप अच्छा कार्य कर रहे हैं। आपने जिन अभिभावकों की बात की इन सब के साथ एक सेमिनार bhi होना चाहिए ।
आज के समय की सबसे ज्वलनशील समस्या है। सभी पालक अभिभावक, बच्चों की मोबाइल एडिक्शन से परेशान है। नहीं रोका गया तो आगे हमारे इन देश के भविष्य पर बहुत बुरा असर होने वाला है ।।।
Both parents and children are addicted. Previous video is very important for the solution of this problem. We must connect them with playground and sports .