#NiranjanSaar
मेरी संगत पोच सोच दिन राती ॥
मेरा करम कुटिलता जनम कुभांती ॥१॥
राम गुसईआ जीअ के जीवना ॥
मोहे न बिसारहो मै जन तेरा ॥ १ ॥ रहाउ ॥
मेरी हरहो बिपत जन करहो सुभाई ॥
चरण न छाडउ सरीर कल जाई ॥ २ ॥
कहो रविदास परउ तेरी साभा ॥
बेग मिलहो जन कर न बिलांबा ॥ ३ ॥
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23 апр 2022