परिणामों में ,शरीरआश्रित क्रिया में, शास्त्र ज्ञान मे उपादेय बुद्धि हो, तो आत्मा अनुभूति नहीं होगी l अनुभती नहीं होगी तो सम्यक दर्शन नहीं होगा ,इसीलिए अभिप्राय को पलटना अत्यंत आवश्यक हैl
साधना जैन,,,, atma Iqbal ke barabar bhi bhajan nahin jail sakti humko ekadam nirodh AVN nirbhar hona hi padega यदि हम गहराई से तत्व विचार करें तो सिर्फ मैं मतलब ओनलीआई मतलब मैं के अलावा और कुछ है कहां जहां देखो वहां मैं ही मैंहूं मेरे अलावा और कुछ भी नहीं😊🙏☺️