मण्डी के लोक गीतों को सुन कर मन को शांति मिलती है और अपनी संस्कृति की झलक देख कर खुशी होती है। मांडव्य कला मंच की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति विरासत हर मण्डी वासियों को सुनना चाहिए और हिमाचलियों को भी
This song show's a lots of love and value for our culture.... sabko mera pyar bhara Naman, Ye wo Sangeet or madhur dhune hain jo har insaan ke man or dimaag ko shaanti or araam de .......na jaane kaha gum ho Gaya ab humara ye sundar or manmohak Geet Sangeet.........🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️❤️❤️🕉️🕉️🕉️🕉️☮️☮️☮️☮️
it's an amazing job that you and your foundation is doing. thanks for reviving these old tunes which our grandmothers would hum every morning doing their daily chores. बचपन में ब्याह शादियों पर लकड़ियों व तलवारों से खणैती नृत्य किया जाता था जो अब लगभग लुप्त हो चुका है। लुड्डी की शुरुआत में बहुत धीमी गति पर नौली नृत्य किया जाता था, गीत रहते थे.... चौहारी जो जाणा.... तथा दाड़ी जलया झीरा । अब इन्हें विरला ही कोई जानता होगा । कृपया इन्हें पुनः जीवन्त करने का प्रयास करें । लुड्डी नृत्य के बहु रूप व गीत पेश करें । धन्यवाद ।
अति सुंदर.. बारह महनो मे विरहन की मनोदशा.. पिया का इंतजार.. फाल्गुन मास मे पिया का घर आगमन ..रँगो की फुहार.. मदमस्त लिखने वाले की कल्पना... गान व परस्तुति... पूर्ण वर्ष सभी परशँसनीय हैं..,,
आजकल की पीढ़ी को अपनी संस्कृति से रूबरू करवाने में आपने अहम भूमिका निभाई है इसमें जरा भी संदेह नहीं मगर इस यज्ञ रूपी मिशन को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है । आप ये सुनकर परेशान हो जाएंगे, मैंने एक बच्चे से पूछा,बेटा क्या आपने हमारे पारंपरिक या लोकगीत सुने है, उसने तपाक से कहा, मैं सुनाता हूं चिट्ठे सूट टे दाग पए गया .....मैंने कहा बस बेटा । दरअसल ये बच्चों का कसूर नहीं है, हमारे आसपास उन्हें अधिकतर यही सब सुनने को मिलता है, इसलिए अभियान को गति देने को आवश्यकता है। मैं कुछ कर पाऊं तो मै अपना सौभाग्य समझूंगा।
गाने के अंत में एक add आती है जो इस गीत की शोभा कम करती है क्योंकि अबोध बच्चों के सामने add को explain करना सुखदाई नहीं होता। कृपा add डिलीट करने की कोशिश करें।