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गोंड राजाओं के आराध्य गोम जी , सोम जी , माँ ज्वाला देवी बालाघाट नगर से 8 किमी की दूरी पर भरवेली के आगे रावणबंदी गांव से सटी पहाड़ियां जिसे गोमजी - सोमजी पहाड़ी के नाम से जाना जाता है । अति दुर्गम रास्ते के बावजूद नवरात्रि में इन पहाड़ों पर खासी रौनक होती है । बालाघाट सहित पास - पड़ोस के जिले से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां गोम जी , सोम जी , माँ ज्वाला देवी के दर्शन करने आते है । सदाबहार , घने - अनमने जंगल के बीच खड़े पहाड़ पर चढ़ाई चालू होती है , खैर अब काफी दूरी तक पक्की सीढ़ियां भी है । दो तिहाई पहाड़ चढ़ने पर माँ ज्वाला देवी के दर्शन होते है , दर्शन कर यह अनुभूति होती है कि सारी थकान मानो मातारानी ने हर ली हो । रास्ता यहां खत्म हो जाता है । अब गोम जी , सोम जी के दर्शन करना है , तो यह किसी चुनौती से कम नही । अब आप को सीधा पहाड़ चढ़ना है वह भी अनुमान लगाकर ! हालांकि ये बेहद रोमांचक है लेकिन उतना ही कठिन भी सामने जा रहे श्रद्धालुओं को फॉलो करना ही बेहतर विकल्प है , चढ़ाई पूरी करने के बाद पहाड़ की चोटी पर काफी लंबा रास्ता है जो समतल है और रोमांचकारी दृश्यों से भरा पड़ा है , नज़ारें ऐसे की कभी भी भूलाये नहीं जा सकते । अर्धचंद्राकर कटे और छेद वाले पत्थरों से पूरा रास्ता अटा पड़ा था । लंबे सफर के बाद घास - बाँस - बल्लियों से बनी सुंदर सी कुटियाँ नज़र आई । उधर कुटियाँ से भी आवाज़ आ गई कि चप्पल - जुते वहीं उतार दो । कुटियाँ में प्रवेश करते ही धनलाल चिचाम जी और उनकी पत्नी अन्नू चिचाम जी की नवाज़ी दिल खुश कर देने वाली थी । मंझारा निवासी स्व . माधव चिचाम के देहांत के बाद से से ये पीढ़ियों से चली आ रही परम्पराओं का निर्वहन करते हुए गोमजी सोमजी की सेवा करते आ रहे है । गोंड राजाओं की धर्मस्थली रही गोमजी , सोमजी की पहाड़ियां आज भी वनवासी समाज के प्रमुख धर्म स्थलों में शामिल है । जहाँ गोम जी को बड़ा देव के रूप में भी पूजा जाता है । मान्यता यह है कि माँ ज्वाला देवी गोमजी , सोमजी की बहन थी जिसे भाइयों से अत्यधिक मान - सम्मान प्राप्त था जो अक्सर वनवासी समाज मे आसानी से देखा जा सकता है , इसलिए आज भी आरती सिर्फ ज्वाला देवी की ही होती है । गोमजी का विवाह हुआ था लेकिन सोमजी कुंवारे थे और गुस्से के तेज भी । गोमजी आज भी कुटियाँ में और सोमजी खुले आसमान के नीचे वास करते है । अक्सर इन पहाड़ो में बाघ दिखने की खबर सोमजी के चबूतरे से ही आती है । सोमजी के सामने मांगी हर मन्नत पूरी होती है ऐसा चर्चाओ में है । मन्नत पूरी होने पर भक्त खीर - पुड़ी चढ़ाते है । जय गोमजी , जय सोमजी , जय बड़ा देव , जय माँ ज्वाला
21 окт 2024