जय जय जय श्री राधे माधव जय श्री माधव जय श्री माधव जय श्री माधव राम हरे कृष्ण हरे राम हरे कृष्ण हरे राम हरे कृष्ण हरे अनन्त माधव हरे जय श्री माधव 🙏🙏🌺🌺🌺🌺♈🪔
हमारे गुरु डॉ अवधूत शिवानंद जी भी हमेशा यही कहते है कि शुद्धभाव, निर्मल मन,निश्चलमन और बस भगवान के प्रति समर्पित भाव से भक्ति और फिर साधना और सबकुछ सहजता से अपने आप होता जाएगा और ये हमारा खुद का अनुभव है ।। बाबाजी कहते है शुद्धि के पीछे भागना सिद्धि के पीछे नहीं ।। नमः शिवाय ।।
जय हो प्रभु जी हरिओम प्रभुजी आपने कितने सुंदर ढंग से समझाकर बताया और नानी मां के उदाहरण से और भी स्पष्ट करके बताया वास्तव में भगवान बहुत लीलाएं करते हैं और फिर हमसे तरह तरह की लीलाएं करके आनन्द लेते हैं और हमें हमारी असलियत दिखा देते हैं आप धन्य हैं आपको धन्यवाद आपका जितना भी धन्यवाद करै कम है🙏🙏💐
भगवान के साक्षात दर्शन तो विरह की परम अवस्था में सुतीक्ष्ण जी जैसी अवस्था में कही किसी परम भाग्यवान को ही हो पाते हैं। भगवद्गीता में उपाय तो बताया है लेकिन वो स्थिति बहुत आगे की है। आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आज के छपास रोगियों के विषय में। हमारे यहां तो 2 km में सिद्ध योगी रहते थे लेकिन हमें कभी पता ही नही चला जब वैराग्य उदय हुआ और हिमालय यात्रा की आग लग गई हृदय में तब उनसे कही कुछ परिचय मिला उन्हे तो प्रचार से बहुत समस्या थी। एक अखबार ने उनके विषय में कुछ छाप दिया तो उन्होंने पत्रकार को बुला कर डांट दिया था और प्रचार इत्यादि के लिए बिल्कुल मना कर दिया, उनके जैसा नियम संयम आज के अच्छे अच्छे साधुओं में नही दिखता। केदारनाथ यात्रा में वो एक लंगोट में ही पड़े रहते थे जबकि हम लोगो को 3 रजाई की जरूरत पड़ती थी। वो कहा करते थे साधना ही जीवन है। साधना से प्रेम करो और लक्ष्य अपने हृदय में रखो। उससे पहले रुकना नही और पहुंच कर रुक पाओगे नही। वैसे तो उनकी हर बात विशेष थी लेकिन बहुत बार ऐसा होता था कि जब मेरे मन में कोई प्रश्न होता था तो उनके पास बैठने से अपने आप ही जैसे वो समझ लेते थे और कही न कही से किसी और से बात करते हुए भी मेरा उत्तर दे देते थे। ऐसा लगता था जैसे ये बात मेरे लिए ही कही जा रही है। तब वो 150 वर्ष के ऊपर अवस्था के थे। और मुझे निर्देश दिया था कि गंगा जी का किनारा कभी मत छोड़ना। कठिनाई जो सहना न चाहे उसको वैराग्य ही नहीं। वैराग्य में तो आनंद आता है मुसीबत झेलते हुए शरीर से जब वैराग्य होता है तभी असली होता है नही तो परिस्थितियों से उत्पन्न वैराग्य तो क्षणिक होता है परिस्थिति बदलते ही वैराग्य कपूर की तरह उड़ जाता है।
Jai babaji namah,aapne bilkul sahi kaha hai,nirvikar hona, sansarik moh, ahankar se poornroop se jab tak mukt nahi hota,sam bhaav ka sahi roop nahi samajhta , aadhyatmik kaise ho sakta hai,eeshwar ki krapa ka paatra eeshwar ki krapa se hi sambhav hai, jai ho,aum namah shivaya,
Hari Om Mahatman , Mahatman , aaj Sundaranand ji key kahey shabd yaad aa rahey hai "Sant ka aachran hi unka sandesh , updesh hai " , Baba Mastram ji ney goodh paath bhi atyant sehaj saral bhaav sey samjha diya , aapney satya kaha hai , issi prakaar sant jan jeevan , adhyatm , saadhna key bahumulya sootra sabhi ko saup jaatey hai , yahi unki kripa aur aashirwaad hai , Hari Om Mahatman .
हरिओम् प्रभुजी 🌹👏👏🌹 श्री बाबाजी के चरणों में कोटिशः प्रणाम 🕉️🕉️👏👏🕉️🕉️ श्री सद्गुरु देव महाराज जी के पवित्र प्यारे चरणों में हृदय से बारंबार प्रणाम 😍😍🙏🙏😍😍🙏🙏😍😍
हरि ओम् गुरुवर 🙏 मां गंगा की गोद हिमालय की छाया में आप को देख कर मन कर रहा है की मां की गोद का सुख भाव रूप से नहीं प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त हो परन्तु मेरे पिता ने ग्रहस्थ जीवन की सेवा सोपी पर बहुत बुख है मां की गोद में बैठ कर प्रभु के श्री चरणों में खोने का😌