जो आजकल साउथ के हीरो कर रहे वो सनी जी २० साल पहले कर चुके हैं। पहले सीधे फिर हालात ने मजबूर किया हर फिल्म में। अर्जुन पंडित, जिद्दी, घातक, इंडियन, गदर, नरसिम्हा।
Is movie se ek chij Sikh Mili hai koi bhi chij karne ke liye sthan le Insan vah chij vah vyakti kar is movie mein jo motivation Jo Diya hai very nice Jai shree Ram
Dekha Mujhe rokne ka anjam Mujhe koi nahi maar sakta Na aage se na piche se Na daye Se Na baye se Na aadmi na jaanwar Na Astra na shastra. Om Puri ka yah dialogue mujhe kuchh Kuchh Hiran Kashyap ki Yad dilati hai
जमींदारी प्रथा पर ढेर सारी फिल्में बनी हैं ,यह भी उन्हीं मैं से एक है।इलाके का जमींदार नरसिम्हा नामक व्यक्ति को मोहरा बनाता है।वे उससे वह हर तरह का अत्याचार करवाता है लेकिन एक ऐसा मोड़ आता है जब नरसिम्हा का हृदय परिवर्तन हो जाता है तब वह जमींदार के सल्तनत को उखाड़ने का बीरा उठाता है। कहानी ठीक है लेकिन पटकथा काफी कमजोर है । हर सीन में पहले ही पता चल जाता है कि आगे क्या होने वाला है। एन चंद्रा का निर्देशन बस कामचलाऊ है । कैमरा मास्टर का काम अच्छा है । नृत्य निर्देशक ने अपने काम के साथ न्याय किया है । कलाकारों में ओमपुरी निराश करता है उसके एक्टिंग में दम नहीं है । सनी देओल का काम अच्छा है । उसे जो भी रोल मिला है उसके साथ न्याय किया है । नरसिम्हा नाम से लगता था कि यह फिल्म कुछ अलग हटकर होगी लेकिन यह एक घिसे-पिटे लाइन पर बनी फिल्म है । इसमें कामेडी और रोमांस कूट कूट कर भर दिया है जिससे यह एक मसाला फिल्म बन गयी है । बापूजी के रोल में ओमपुरी अपनी छाप छोड़ नहीं पाते इसमें ओमपुरी कम पटकथा और कहानी सबसे अधिक जिम्मेवार है ।
It's a good movie. But the main character "Narasimha" isn't too "active" throughout the movie. He appears and then disappears, now and then. Looks as if Sunny Deol has been casted like "samose mein aaloo". Sunny should have been given more of "acting".