Neemrana ki Bawdi - नीमराना बावड़ी || मिल गयी रानी की रहस्यमयी गुफ़ा || Haunted Places of Rajasthan
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राजस्थान के अलवर जिले मे "नीमराणा नामक" रानी की बावड़ी है, जो धरती से इतनी नीचे है कि ऊपर से देखने पर सांसे रुक जाती है |
👉🏻 500 साल से दफ़्न है ये राज
👉🏻 पाताल लोक जितनी गहरी बावड़ी
👉🏻एक रहस्यमयी सुरंग मिली
यह बावड़ी राजस्थान राज्य के अलवर जिले के नीमराणा नामक स्थान में है, दिल्ली से इसकी दुरी 130 km है
LOCATION:- Neemrana - Naghori Road, Near Vrindavan International Public School,
Neemrana, Rajasthan 301705
Open - 24hours
Location Link - goo.gl/maps/mXSNRdc1Ejdu9Z4H7
नीमर की बावड़ी हिंदी में, नीमराणा के अंदर स्थित नीमराणा की बावड़ी बहुत पुरानी और शानदार बहु-मंजिला संरचना है। जो नीमराना के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है, और जो पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बने हुए है। यह बावड़ी नीमराना महल के करीब स्थित है। जिसमें 170 चरण शामिल हैं, और जैसे-जैसे हम नीचे जाते हैं निर्माण छोटे होते जाते हैं। नीमराना बावड़ी पुरानी वास्तुकला की सुंदरता को दर्शाता है। जिसमें पुरानी निर्माण कला की उत्कृष्टता देखी जा सकती है। नीमराणा की बावड़ी 9 मंजिला ईमारत थी और प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई लगभग 20 फीट है। यह अंदर से ठंडा और नम है। यह बावड़ी का पानी और सिंचाई दोनों के लिए उपयोग के साथ साथ आकर्षक पर्यटक स्थल भी बना हुआ है। जहां पर्यटकों की भीड़ देखी जाती है
राजपूत स्थापत्य कला और जल संरक्षण का महत्व बताने वाली नीमराना की ऐतिहासिक बावड़ी अब राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में शामिल होगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसका ड्राफ्ट गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित कर 19 मई 2018 तक आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद बावड़ी व आसपास के 1.26 हैक्टेयर क्षेत्र को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर दिया जाएगा। सिलारपुर रोड़ स्थित करीब 335 साल पुरानी इस नौ मंजिला बावड़ी को देखने यूं तो हजारों पर्यटक अब भी आते हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में यह बदहाली का दौर देख रही थी। स्मारक घोषित होने के बाद इसका कायापलट हो जाएगा। एएसआई ने गुरुवार को नीमराना में सार्वजनिक स्थानों पर नोटिफिकेशन चस्पा करा जन आपत्तियां मांगी। एएसआई के उपाधीक्षक डॉ गुंजन कुमार श्रीवास्तव, सहायक अधीक्षक मनोज कुमार द्विवेदी, सहायक पुरातत्वविद डॉ गोविंद सिंह मीणा, सर्वेयर रविंद्र कुमार जांगिड़ सर्वेयर भी नीमराना पहुंचे। उल्लेखनीय है कि तहसील क्षेत्र के राजपूत समाज काफी वर्षों से इस ऐतिहासिक बावड़ी को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में शामिल करने की मांग कर रहा था। राजपूत सभा नीमराना के तहसील अध्यक्ष हेमसिंह चौबारा ने सकार की पहल का स्वागत किया है।
बावड़ी रियासतकालीन जल संरक्षण संरचना का बेजोड़ नमूना होने के साथ राजपूत शैली की अनुपम कलाकृति भी है। हर मंजिल पर बेशकीमती पत्थर, नक्काशी और कलात्मक झरोखे बने हैं। हर मंजिल पर कक्ष भी बने हैं। जिनका इस्तेमाल गर्मियों में शीतलता के साथ आराम करने में किया जाता था। बावड़ी का पानी पीने और सिंचाई में इस्तेमाल होता था। बावड़ी का निर्माण विक्रम संवत 1740 में नीमराना के तत्कालीन राजा मानसिंह ने करवाया था। दूर से यह बावड़ी समतल नजर आती है, लेकिन हकीकत में यह जमीन से 250 फीट गहरी है। नीचे उतरती दिशा में नौ मंजिल बनी हुई हैं। इनके बीच 170 सीढ़ियां हैं। हर मंजिल एक दूसरे से इस तरह जुड़ी है कि कहीं से भी आ-जा सकते हैं।
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6 авг 2024