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editor : AJAY BHARDWAJ
DOP : AJAY BHARDWAJ
CASTE : KAFENU VILLAGE PEOPLE
SPECIAL THANKS : RAJ SHARMA DASTA
RAJNISH SHARMA SANCHI SHARMA MEHAK KANYAL PRAHARSH SWANIK
सिरमौर जिले के नामकरण के बारे में काफी कुछ अनुमान हैं। एक मत के अनुसार यह जिला पहाड़ी रियासतों मे अपनी अहम् भुमिका रखने के कारण सभी जिलो का सिर का ताज था जिस कारण सिरमौर कहा गया था। एक मत यह भी हैं कि राजा शालिवाहन द्वितीय के पौत्र राजा रसालू के पुत्र सिरमौर के नाम पर इस जिले का नाम सिरमौर पड़ा। राजा रसालु से सम्बंधित कुछ स्थान सिरमौर मे वर्तमान मे है, जिनमें नाहन के निकट राजा रसालू का टिब्बा भी है। नामकरण की इस परम्परा मे एक मत यह भी है की चंद्रगुप्त मोर्ये ने मगध के नन्द वंश को समाप्त करने में मगध के बीच के राज्य कुलिंद (वर्तमान सिरमौर ) पर्वतीय राज्य की सहायता ली, अतः चंद्रगुप्त मोर्य ने अपने प्रति किये गए उपकारों से कृत्य- कृत्य होकर यहाँ के राजाध्यक्ष को एक सम्मानित उपाधि शिरोमोर्य अर्थात मोर्य साम्राज्य का शीर्षस्थ भाग से सम्मानित किया। कालान्तर मे भाषा विज्ञान के सैद्धांन्तिक आधार पर वर्ण विपर्यय होकर इसका नाम ‘शिर-मोर्य’ के स्थान पर सिरमौर पड गया। इसके नामकरण के बारे मे एक मत यह भी है कि इसका नाम पाँवटा साहिब से 16 किलोमीटर उत्तर-पशिम मे गिरी नदी के बाएँ तरफ स्थित सिरमौरी ताल पर पड़ा। ऐसा माना जाता है कि किसी समय ये स्थान सिरमौर के राजाओं की राजधानी थी। पहाड़ी बोली के सिरमौरी शब्द का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लोग आज भी इसे ठेठ पहाड़ी में ‘सरमऊर’ बोलते है जिसकी उत्पति ‘सर’ यानि कि तालाब और ‘मऊर’ यानि महल से हुई है अर्थात तालाब के किनारे महल। बाद मे वर्ण व शब्द परिवर्तन से सरमऊर का सिरमौर नाम पड़ा। इस प्रकार इस जिले के नामकरण के बारे मे लिखित साक्ष्यों के अभाव मे किसी भी सत्य पर पहुँचना मुश्किल है।
18 сен 2024