Annual Sir Syed Day Mushaira-1989 (USA) CD'S AND DVD'S AVAILABLE AT:- GOMTI AGENCIES OPP STATE BANK, AMINABAD, LUCKNOW U.P PH 9839128165, 0522 2616418, 9335918233
2007 में निदा Delhi University में आए थे, हमने उन्हें लाइव देखा- सुना था। हम दोस्त हंसते थे कि अगर इनके हाथ को बांध दें तो ये शेर कैसे पढ़ेंगे शेर पढ़ने का इनका अंदाज़ निराला था
जिंदा ही थे कुछ जजवात हो या मुहब्बत हो या जिंदगी की संजीदगी और महबूबा के लिए ग़ज़ल आप जेसे रूहानी फरिश्तों से कहना ही सुनने मे सुकुन होता था और है ईश्वर इस जग से उस जग तक अपने करीब जन्नत में जगह दे!🙏🙏🙏
He is the one because of whom I cultivated the habit of reading and listening to Ghazals and Nazms. Lucky to meet him at a Mushaira and take his autograph.
ندا فضلی ہمارے ہندوستان کے ایک عظیم شاعرِ جو امریکہ میں غزل سرا ہیں اور ان کے پیچھے بیٹھے ہیں ہمارے پڑوسی ملک پاکستان کے عظیم اور ممتاز شاعرِ جناب قتیل شفائی واہ کیا بات ہے کے ایک مشاعرہ دو الگ الگ ملک کے دو عظیم شعراء کو ایک جگہ کیا ہے۔ می بھی ایک ادنٰی شاعرِ ہو جو ہندوستان کے شھر حیدرآباد سے تعلق رکھتا ہوں۔میرا تخلص ہے خلشِ حیدرآبادی۔
🟰 *NiDä FäZLi* 🟰 पिया नही जब गांव में आग लगे सब गांव में ... *कितनी मीठी थी इमली* *साजन थे जब गांव में ...* कुछ अलग ही अंदाज हैं जनाब निदा फ़ाज़ली का सरल और सुंदर ➖♾️➖
I love your belive. I would love to take care of needy families rather then go to perform Hajj . Not saying to refuse all mighty Allah's order. May i would get chanceto do that { I havebeen there once in 1995 . Alhumthoughlillah}
निदा फ़ाज़ली कह दिया तो यह पूछने की जरूरत नहीं कि वे क्या है लेकिन जिस समय वे यह नजम पढ़ रहे होंगे उस समय शायद उनकी निगाह में पाकिस्तान के हालात अच्छे होंगे जब के स्वतंत्रता के बाद गैर मुस्लिमों के लिए कभी हालात अच्छे नहीं रहे और उनकी निगाह में उस समय भारत के हालात अच्छे नहीं थे उनको एहसास भी नहीं होगा कि पाकिस्तान के हालात इतने गर्त में चले जाएंगे और भारत को कोसना तो वे अपना अधिकार ही समझते हैं
CONGRESS NAE DANGO KI WAJEH BATA PAKISTAN BANVAYA? FIR BHI DANGAYO KO BHARAT MAE BASAYA? DANDE TAB BHI AB BHI FIR KO KARACHI. PRAI CHI ,BOMBAY CHI KO BAY BAYE , HUA KEYA NA VO KHUSH AUR HUM KUCH KUCH?
रिश्ता तो 1946 में ही टूट गया जब मजहब के नाम पर वोट कर दी... अब क्यों फिजूल के पैबंद लगाते हो तुमने झूठ में भी हद कर दी... रिश्ते दिखावट से नही, दगाबाजी से नही, नफरतों से नही बनते, झांका है कभी अपने दिल में, बता तुमने नफरत में कितनी कमी कर दी...