Title : Nirvana Shatakam
Singer : Kashyap Vora
Music : Kashyap Vora
Lyrics : Adi Shrimad Shankaracharya - Traditional
Recorded- Mixed & Mastered at: VOK STUDIO
Music Label : Kashyap Vora
मनोबुद्ध्यहंकार चित्तानि नाहं
न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 1 ।।
न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं | मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं | मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायुः,
न वा सप्तधातुः न वा पञ्चकोशः ।
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायु,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 2 ।।
अर्थ (Meaning): मैं न प्राण हूं, न ही पंच वायु हूं | मैं न सात धातु हूं, और न ही पांच कोश हूं | मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ,
मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 3 ।।
मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह | न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या | मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं,
न मन्त्रो न तीर्थो न वेदा न यज्ञ ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 4 ।।
अर्थ (Meaning): मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं | मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ | न मैं भोजन(भोगने की वस्तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः,
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरूर्नैव शिष्यः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 5 ।।
अर्थ (Meaning): न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव | मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य, | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
न चासङ्गतं नैव मुक्तिर्न मेयः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 6 ।।
मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं | मैं चैतन्य के रूप में सब जगह व्याप्त हूं, सभी इन्द्रियों में हूं, | न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं, | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
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27 сен 2024