बहुत बढ़िया से प्रजेंट कि आपने अपने इस वीडियो को साथ साथ आपके कई सारे सब्सक्राइब और से भी मुलाकात और बातचीत देखने को मिली बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी के टॉप पर बसा है मां कालिंका का यह मंदिर यहां से गढ़वाल की कई सारी वैली और कुमाऊं की कई सारी वैली के साथ-साथ हिमालय की 180 डिग्री के भी दर्शन होते है। हालांकि जब मैं लास्ट टाइम यहां आया था तब से लेकर अब तक मंदिर में कई सारे चेंजेज हो चुके है। सीधे शब्दों में कहूं तो मंदिर काफी डेवलप हो चुका है। बहुत-बहुत धन्यवाद इस शानदार प्रस्तुति के लिए।
जय हो माँ कालिंका माता की जय हो 🙏🙏🙏 बहुत सुंदर तरीके से आपने पूजा को प्रजेंट किया है। और पूजा में बहुत भीड़ लगी है । बहुत अच्छा लग रहा है पूजा के साथ साथ आपके सब्सक्राइबर भी मिल रहे हैं । आपके ब्लॉग के माध्यम से हमको भी मां कालिंका के दर्शन करने को मिल रहा है । जिसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । Thanx for sharing.
गढ़वाल कुमाऊं की मिली-जुली संस्कृति के परिचायक भव्य मेले के आपने बहुत अच्छे से दर्शन करवाएं मां कालिंका की सब पर कृपा बनी रहे अगली बार हम भी मां का आशीर्वाद लेने पहुंचेंगे आपके चेहरे पर भी एक अलग तरह की खुशी थी बहुत अच्छा लगा आपके सब्सक्राइबर से आपकी बातचीत और उनके विचार जानकर इस तरह के काम को सभी लोगों को सपोर्ट करना चाहिए आज का यह वीडियो आपका full energetic था थैंक्स शेयरिंग के लिए 🙏❤️nice dipti keep it up👍
कई साल पहले भक्तजन अपनी मनोकामना पूरी होने पर पूजन के दिन माता के मंदिर में पशुओं की बलि देकर मां काली को भेंट समर्पित करते थे इसी को स्थानीय लोग जतोड़ा कहते थें, लेकिन वर्तमान में यह बलि प्रथा बहुत कम हो गई है अब भक्तजन मनोकामना पूरी होने पर पशुओं की बलि ना देकर श्रीफल ,माता की चुनरी , माता के श्रृंगार सामग्री व अन्य कई तरह की भेंट स्वरूप माता को समर्पित करते हैं जो हम सब के लिए खुशी की बात है कि यहां से बलि प्रथा जैसी कुप्रथा धीरे-धीरे कम होती जा रही है सामान्यतः अब मां कालिंका मंदिर में पूजन ही होता है लेकिन पुरानी धारणा के चलते इसे स्थानीय लोग अब भी जतोड़ा ही कहते हैं 🙏😊