शिक्षा के स्वरूप, महत्व और प्रचीन अर्वाचीन समय में शिक्षा के प्रासंगिकता के ऊपर सर का व्याख्यान बहुत ही ज्ञानप्रद रहा.. वास्तव में विद्या वही है जो मनुष्य का सर्वांगीण विकास करे... पुस्तकस्थातु या विद्या पर हस्त गतं धनम्। कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम्।।
कितना समझाया फिर भी पूछ रहे है की स्कोप क्या है। नोकरी से आगे नही निकल रहे..... ये पूछो की मेरे जीवन में कैसे उपयोगी है और फिर पूछो इतना उपयोगी है तो भी मेरा मन क्यों नही लगता.... तब बात बनेगी