Radhe Radhe
पंचांग अनुसार राधा अष्टमी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से राधा रानी की पूजा करते हैं। कहते हैं राधा अष्टमी का व्रत सभी दुखों का निवारण कर देता है। इस व्रत में फलाहार ले सकते हैं। व्रत का पारण कई लोग शाम में कर लेते हैं तो कई अष्टमी तिथि की समाप्ति पर राधा अष्टमी का व्रत खोलते हैं।
राधा अष्टमी के दिन सबसे पहले राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं और विभिन्न प्रकार के फूलों से उनका श्रृंगार करें। तुलसी, मालती और गुलाब के फूलों से विशेष रूप से पूजा की जाती है।
राधा अष्टमी के दिन भक्तों को राधा चालीसा, राधा स्तुति और "राधे राधे" मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे भक्ति और प्रेम की अनुभूति होती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
दीन-दुखियों और ब्राह्मणों को दान करें
राधा रानी करुणामयी मानी जाती हैं, इसलिए इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देना शुभ माना जाता है। वस्त्र, भोजन और धन का दान करके पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों पर राधा रानी की विशेष कृपा होती है।
राधा अष्टमी का व्रत निर्जला और फलाहार के साथ दोनों तरीके से रख सकते हैं। जो लोग निर्जला व्रत रखते हैं वे शाम की पूजा के बाद जल ग्रहण कर व्रत वाला भोजन कर लेते हैं। वहीं व्रत के पारण की बात करें तो राधा अष्टमी व्रत अगले दिन की सुबह के समय खोला जाता है। आप सभी को राधा अष्टमी की अनंत शुभकामनाएं🙏🏻#trending #mantra #todayspecial #radhekrishna #radheradhe #yamuna #gokul #barsana #yog#meditation #mantra #chanting #sanatan
21 окт 2024