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अलवर जिले के बहरोड उपखण्ड के बहरोड़ अलवर रोड पर स्थित नंगला रुद्ध में एक शिकारगाह बना हुआ है । यह शिकारगाह कभी चमचमाता हुआ महल हुआ करता था लेकि अब वक्त ने इसे खंडहर का रूप दे दिया है ।
अलवर के महाराजा जयसिंह की गिनती भारत के इतिहास में बीसवीं सदी के महान व्यक्तियों में होती है।महाराजा जयसिंह केवल 10 वर्ष की आयु में राजा बने थे।
एक बार की बात है महाराजा शिमला गए हुए थे। और उन्हें पता चला कि भारत के वायसराय का परिवार भी शिमला में आया हुआ है। उन्होंने लेडी वायसराय को भोजन के लिए अपने डेरे पर आमंत्रित किया। लेडी वॉइस राय अपने पालतू कुत्ते के साथ महाराजा के डेरे पर पहुंची और महाराजा ने यह नियम बना रखा था कि उनके डेरे में कोई कुत्ता प्रवेश नहीं कर सकता। इस बात से नाराज होकर लेडी वायसराय वहां से बिना भोजन किए वापस लौट गई।
इसके बावजूद कुछ अंग्रेज अधिकारी महाराजा जयसिंह से शत्रुता करने लगे और उन्हें उनके पद से हटाने की कोशिश करने लगे।
एक बार राज्य में मेवो द्वारा भयानक विद्रोह करने तथा राज्य के एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी द्वारा किसानों पर अत्याचार किए जाने से वहां सांप्रदायिक मार काट के बाद अंग्रेजों ने बड़े ही मनमाने ढंग से 16 जून 1934 को महाराजा जयसिंह को उनके राज्य से बाहर निकाल दिया गया और महाराजा को राज्य छोड़कर विलायत जाना पड़ा।।
19 मई 1937 को पेरिस में टेनिस खेलते हुए रीड की हड्डी टूट जाने पर रहस्य में परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई और यहां तक कि कुछ भारतीय इतिहासकारों को महाराजा की मृत्यु के पीछे अंग्रेजों का षड्यंत्र लगता है।।
इस महल के बारे में जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया की इस शिकारगाह में करीब 13 बीघा जमीन है जिस पर ग्रामीणों ने कब्ज़ा कर शिकारगाह की रौनक को बद से बदतर कर दिया है । बुजुर्ग बताते है की उस समय यहां बहुत ही रौनक रहती थी । वही जब राजा इस महल में आते थे तो आसपास के ग्रामीण इस महल में आते और अपने करतब राजा को दिखाते थे । ग्रामीणों द्वारा दिखाए करतबो से खुश होकर राजा ग्रामीणों को पारितोषिक देते थे । लेकिन अब सब खण्डहर हो चुका है । उस जमाने मे भी इटली व फ्रांस के पत्थरों से बने भवन को देखने कुछ साल पहले तक तो सैलानी यहां पहुंचते थे, लेकिन आज हालात ने इस शिकारगाह को अनाथ सा बना दिया है ।
असामाजिक तत्वों ने इस महल की बेशकीमती लकडिय़ों से बने दरवाजे व खिड़कियां भी चुरा ली । इस महल का निर्माण राजा जयसिंह ने 20वीं सदी के प्रारंभ में बर्डोद रूंध स्थित छोटी पहाड़ी पर इसका निर्माण करवाया था । इसके निर्माण में विदेशी पत्थरों के साथ - साथ विदेशी इमारती लकड़ी और टाइल्स भी लगवाााई थी जो पहले कहीं देखने को भी नहीं मिलती थी । वही जयपुर की तर्ज पर इस शिकारगाह पर भी गुलाबी रंग करवाया था
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27 авг 2020