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पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की एक पीठ ने एससी-एसटी क़ानून पर दिए गए अपने पुराने फैसलों को वापस ले लिया है और अपने पहले के दिशा निर्देशों को ख़ारिज करते हुए FIR से पहले जांच की बाध्यता को खत्म कर दिया है। अब आरोप के मामले में सीधे FIR दर्ज की जा सकती है। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों की पीठ ने 20 मार्च, 2018 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को कमज़ोर कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के जजों ने अपने ताज़ा फैसले में कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सामाजिक-आर्थिक दशा तमाम उपायों के बावजूद अभी भी कमज़ोर बनी हुई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोग छुआछूत और अमानवीयता का सामना कर रहे हैं और वे बहिष्कृत जीवन गुजारने मजबूर हैं...
ANCHOR : क़ुर्बान अली
GUESTS: पृथ्वीराज चौहान, वकील
भारती, दलित कार्यकर्त्ता
REPORT - ANURAG PANDEY
EDITING : IMRAN KHAN
GRAPHICS : PANKAJ JAIN
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7 сен 2024