@@SureshSisodiya-p5m कटाई का थिरेसर का दबाई का राशन का और भी चीजों के पैसे कान्हा से देंगे सब किसान पैसे वाले नही है और फिर आगे की फसल की भी बिबस्ता करनी है जिसके लिए मंडी तो जाना पड़ेगा
किसानों को सोयाबीन की वैराइटी भी बहुत महंगी मिलती है इतने ही इल्ली और दवाइयां बहुत महंगी पड़ती है किसानों को उनका हक मिलना ही चाहिए किसान सड़कों पर भी उतरेगा
मध्य प्रदेश में किसानों की दुर्दशा के लिए भाजपा की नीतियां जिम्मेदार हैं मध्य प्रदेश की 29 लोक सभा क्षेत्र से भाजपा की जीत कभी भी सोयाबीन समर्थन मूल्य घोषित नहीं होने देगा
पूर्व मुख्यमंत्री जी से निवेदन है की कृषि मंत्री जी सोयबीन msp पर खरीदा जाय जिस तरह महाराष्ट्र व तेलागाना के किसानों की फसल msp खरीदने फैसला किया उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के किसानों की फसल खरीदी जाये भाव8000रू दे
हम किसानों को किसी भी पार्टी से कोई मतलब नहीं है राजनीतिक पार्टी चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस सब अपनी अपनी रोटियां सकती है लेकिन बेचारा किसान बाद में पछताते हैं बहुत परेशान रहता है
सरकार को शर्म आनी चाहिए यार लागत 2 से तीन गुना अधिक हो गए है और सरकार भाव ऐसे बता रही है की इन्होने किसानों पर एहसान कर दिया जैसे 250 रू बड़ा कर सरकार एहसान नहीं कर रही है 6000 का भाव कम से कम होना चाहिए यार सरकार किसानों के प्रति जागरूक नहीं है जो देश की अर्थव्यवस्था को चलाते है सरकार उनको चिल्लरो में तोल रही है गेहूं के भाव का 2700 का वादा किया वो भी पूरा नहीं किया 😢 जय जवान जय किसान
अरे कपास लगाने वाले किसानों आप कब जागोगे मौका है और दस्तूर भी है क्यूं न कपास का भाव भी 10000 हो । जागो किसानो कपास वाले किसानों जागों ।❤❤❤❤❤❤ 10,000 प्रति किंवटल होना चाहिए ।
अब आगे इस झांसेबाज सरकार को एक भी सीट कभी मत देना वर्ना इससे भी बुरे दिन देखने को मिलेंगे।हद हो गई पंद्रह साल में एक बार भी अन्नदाताओं को यह बात अभी तक समझ नहीं आ सकी है कि यह जुमलेबाज सरकार टकासेर भाजी कर खेती और किसानों को खत्म करने में लगी हुई है। राधे-राधे
जनता को msp नही चाहिए तो क्यों ड्रामा कर रहे हो वोट देते वक्त आप लोगो को ध्यान नही आया आज अगर 29 मे से 10सीट भी देते तो आपकी आवाज आज दिल्ली संसद में गूंज रही होती
किसान की रात दिन मेहनत से सोया प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ बधाई लेकिन यह किसान की ख़ून पसीने के परिश्रम ही मिला, जिसे चारों तरफ संकट घेरे हुए है एक तो प्रकृति मार, दूसरे लागत तिगुना सरकार की ग़लत नीति में, तीसरे , नकली खाद बीज, चौथे भाव ने मारा, हम किसान खुले आसमान तले खेती करते हैं और सभी अधिकार सरकार के खुशहाली के दो आयाम ऋण और पूरा दाम।
आंदोलन जारी रखो किसान भाईयों एक बार आगे बढ़कर पीछे मत आना वरना फिर कुछ नहीं होगा अधिकार के लिए महाभारत जरुरी है किसान एकता आज तक नहीं हुई अब एक हो जाओ किसान हर तरह का खतरा मोल ले रहा है तन और धन दोनों होम रहा है यदि सरकार नहीं सुनेगी तो कौन तुम्हारी सुनेगा सरकार को सुनना पड़ेगा बस आंदोलन बन्द नहीं होना चाहिए जय श्री बलराम जय किसान
सोयाबीन के अंतराष्ट्रीय बाजार में भाव का पता लगा लो तब पता चलेगा कि भारत सरकार किसानों को कितने नुकसान में वर्तमान भाव दे रही हैं। लगे हैं सब के सब सोयाबीन उगाने में ...
मुझे तो मालूम था 29 सिट दे दे पर यह अब अपने सुनवाई नहीं करेंगे किसानों की यह किसानों के लीयेबहुत बेकार है बीजेपी अब एमपी में किसी किसान की सुनाई नहीं करेंगे
वर्तमान सरकार कृषि और व्यापार में तालमेल नहीं बना सकी है देश में 50% लोग कृषि करके अपना गुजारा करते हैं लेकिन कृषि का व्यवसाय पूरी तरह से फेल हो चुका गांव उजड़ चुके हैं गांव में रहने को लोग तैयार नहीं है वर्तमान कृषि मंत्री पुरानी सरकारों पर बैंक करते रहते हैं
सरकार ने उन छोटे किसानों को लाभ पहुंचाना चाहिए जो मात्र खेती किसानी का काम करते हैं कृषि भूमि तो बड़े बड़े नेता और अधिकारियों के पास भी है उन्हें फसलों का लाभ नहीं देना चाहिए
Bhai sahab soybean ka ek bigha ka kharcha 15000 hota hai aur soybean 4000 rupaye ke bhav mein bikati hai 3 quintal prati bigha ka utpadan hone per bhi soybean mein Kisan ko rs 3000 per bigha ka ghata lagta hai uske bad kisanon Ki kya durdasha hogi vah apne ghar ka kharcha kaise chalayega Apne bacchon ki fees kaise badhega uske bad bhi Kisan sare hajaron ko sahan kar leta hai aur Sarkar ke Kan mein is baat ki jo Tak nahin hai Kisan ko uski fasal ka uchit dam mile jis din Kisan apni fasal ka mulya swayam Tai Karega asali Kranti usi din hogi neta log Apne bacchon Ko bade bade schoolon mein padhaai karvate hain aur ek Kisan Apne bacche ko ek chhote school mein bhi rakhne mein vichar karta hai kyunki uske pass itna Paisa nahin hota hai o private school ki fees bhar sake
10 साल पहले जो फसलों के जो भाव थे वो हि आज मिल रहा फसलों का भाव जबकी सरिया सीमेंट पेट्रोल डीजल किराना मजदूरी खाद का रेट डबल हो गया पर फसल का आधा हो गया
आप किस होशियार हो चुका है वह किसी भी बदलते फसलाने या किसी भी पार्टी के दबाव में नहीं आएगा वह अपना हक लेकर मानेगा किस को अपना हक चाहिए सोयाबीन बहुत महंगा भी मिलता है बन के टाइम पर