⚡️ धनतेरस के दिन सोना, चांदी, गहने, बर्तन आदि खरीदने से नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव की शास्त्र विधि अनुसार पूर्ण गुरु (तत्वदर्शी संत) से दीक्षा लेकर भक्ति करने से ही सुख, समृद्धि, कार्यसिद्धि व मोक्ष की प्राप्ति होगी। गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 तथा गीता अध्याय 4 श्लोक 34
कबीर, गंगा कांठै घर करें, पीवै निर्मल नीर। मुक्ति नहीं सत्यनाम बिन, कह सच्च कबीर।। कबीर, तीर्थ कर-कर जग मुआ, ऊडै़ पानी न्हाय। सत्यनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय।।
संत रामपाल जी महाराज की ज्ञान का प्रचार कोने-कोने में भारत क्या पूरे विश्व में फैल रहा है बिना धणी की बंदगी,सुख नहीं तीनो लोक। चरण कमल के ध्यान से,गरीब दास संतोष।।
धनवान बनाने वाला भगवान परमात्मा कबीर की भक्ति से प्राप्त धन कभी खत्म नहीं होता। धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने के बजाय सतभक्ति का मार्ग अपनाएं और परमात्मा के कृपा पात्र बनें।
पूर्ण मोक्ष के लिए शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए जिससे उस भगवान तक जाया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं जिससे साधक का मोक्ष हो जाता है।
बंदी छोड़ पूरण परमात्मा कबीर साहेब की जय हो बंदी छोड़ जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी कीजय हो तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने विशेष संदेश नंबर 61 में पुण्य आत्मा धर्मदास जी जी को पूर्ण परमात्मा आकर मिले और उन्हें पूर्ण ज्ञान का उपदेश दिया
कबीर, झूंठे सुख को सुख कहे, मान रहा मन मोद। सकल चबीना काल का कछु मुख मे कछु गोद।। कबीर ,प्रेम पांवरी पहिन के,धीरज काजल देय। शील सिंदूर भराय के,जगत पती का सुख लेय।।गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माही । जीव उधारण जगत गुरु, बार बार बलि जाहि ।।
चौथा युग जब कलयुग आई। तब हम अपना अंश पठाई।। काल फंद छूटे नर लोई। सकल सृष्टि परवानिक होई।। पाँच हजार पाँच सौ पाँचा। तब यह वचन होयगा साचा।। कलयुग बीत जाय जब ऐता। सब जीव परम पुरूष पद चेता।।
JagatGuru Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज वास्तव में सनातन धर्म के सच्चे हितैषी संत हैं, जिन्होंने गीता, वेद, पुराण, कुरान, बाईबल आदि से प्रमाण करके पूरे विश्व को बताया कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर (कबीर अल्लाह) सर्व सृष्टि को रचने वाले सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं और इन्हीं परमेश्वर की भक्ति (इबादत) सर्व मानव समाज को करना चाहिए। जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8, कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 52-59 में है। ☝️☝️☝️☝️
त्योहार पर समान खरीदने से नहीं बल्कि पूर्ण संत/सच्चे गुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करने तथा दान धर्म करने से सर्व सुख, धन वैभव व मोक्ष की प्राप्ति होती है। कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण।।
बहुत अच्छी जानकारी इस वीडियो में जब सीता माता को अयोध्या में लाया गया उस समय खुशी के मारे घी के दीप जलाए और उसके दो वर्ष बाद सीता माता को घर से निकाल दिए गए विचार करो संसार के भाई बहनों क्या आज भी सीता माता को निष्कासित करने के बाद दीपावली मनाना उचित है क्या संपूर्ण त्योहारों की जानकारी के लिए सतगुरु रामपाल जी महाराज का सत्संग सुने
जीवन को बदलने की शक्ति: दीवाली पर पाएं अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा, इसमें दिए गए ज्ञान के माध्यम से आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह आपको मानसिक शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
पांचवें वेद "सूक्ष्मवेद" में कहा गया है: कबीर, गंगा कांठै घर करें, पीवै निर्मल नीर। मुक्ति नहीं सत्यनाम बिन, कह सच्च कबीर।। कबीर, तीर्थ कर-कर जग मुआ, ऊडै़ पानी न्हाय। सत्यनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय।। अर्थात् चाहे मोक्षदायिनी मानकर गंगा नदी का निर्मल पानी पीओ, चाहे उसमें नहाओ। भक्ति के शास्त्र प्रमाणित नाम (मंत्र) बिना मोक्ष संभव नहीं है और उनको उस साधना से राहत नहीं मिलेगी। बल्कि इन साधनाओं को करने वालों को काल के दूत बलपूर्वक घसीटकर ले जाते हैं, दंडित करते हैं।
कबीर, झूंठे सुख को सुख कहे, मान रहा मन मोद। सकल चबीना काल का कछु मुख मे कछु गोद।। कबीर ,प्रेम पांवरी पहिन के,धीरज काजल देय। शील सिंदूर भराय के,जगत पती का सुख लेय।।गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माही । जीव उधारण जगत गुरु, बार बार बलि जाहि ।।🙏🙏.
दान दिए धन ना घटे कह गये साहेब कबीर सच्चे दान से धन कम नहीं होता, बल्कि जीवन में सुख-शांति और संतोष की वृद्धि होती है। कबीर परमेश्वर कहते हैं कि धन की अधिकता हमारे अहंकार और सांसारिक आसक्ति को बढ़ा सकती है, जिससे व्यक्ति ईश्वर की भक्ति से दूर हो जाता है। धन का सही उपयोग वही है, जो सेवा और परोपकार के कार्यों में लगाया जाए। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखते हुए सच्चे मन से दान करता है, उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होती। इसके साथ ही संतों ने यह भी कहा है कि किसी सच्चे संत से दीक्षा लेकर ही दान-धर्म और भक्ति के कार्यों का फल सही मायनों में मिलता है।
चारों युग प्रमाण सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनींद्र मेरा। द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।। कबीर परमात्मा चारों युगों में विभिन्न नामों से इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं व अपनी जानकारी स्वयं ही देते हैं।
🍂जाने पवित्रा श्रीमद्भागवत गीता मैं लिखा ओम तत् सत् मंत्र के वास्तविकता, पूर्ण मोक्ष की पूर्ण विधि और पूर्ण परमात्मा की पूर्ण जानकारी जानने के लिए अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक📖 *ज्ञान गंगा*📖
धन तेरस पर नकली धन नहीं बल्कि परमात्मा रुपी असली धन को प्राप्त करने की विधि जानिए। संत गरीबदास जी, दादू जी, नानकदेव जी, पीपा जी, धर्मदास जी, मलूक दास जी आदि ने परमात्मा रुपी धन को प्राप्त किया। उस परमात्मा को प्राप्त करने के बाद किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता है तथा अविनाशी व सुखमय लोक सतलोक की प्राप्ति है। अधिक जानकारी के पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा।