अंसारी भाई, आप बड़े साहसी एवं भाग्यशाली हो तथा सत्य के खोजी हो जिन्हें महाराज श्री के दिशानिर्देश में आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर ने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। गुरु ग्रंथ साहिब में जिक्र हुआ है कि , अव्वल अल्ला नूर उपाया कुदरत दे सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजिआ कोऊ भले कोऊ मंदे। सभी मानव उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के अस्तित्व से उत्पन्न हुए हैं, कोई भला-बुरा नहीं है। केवल दृष्टि भेद ही है,जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।भेद- बुद्धि या अन्य नकारात्मक वृत्तियां , केवल प्रभु के सच्चे नाम स्मरण से ही समाप्त होती है और जीवात्मा मुक्ति की ओर अग्रसर होती है, ऐसा संतों व शास्त्रों का मत्त है।
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:वन्दे पारब्रम्ह पूर्ण वन्दे पारब्रम्ह पूर्ण, तुझको कोटि कोटि नमन। सर्व व्यापक भगवन, सर्व व्यापक भगवन, सारशबद अखण्ड पाकर, जीव करता अंत समय सतधाम गमन-वन्दे पारब्रम्ह--।।00।।आओ हम सब मिल कर पाऐ चित्त मे सारशबद अखण्ड सतधामी को। सारशबद अखण्ड ही पारब्रम्ह है, देता पद निर्वाणी को-वन्दे पारब्रम्ह--।।01।।सारशबद अखण्ड का झंडा ही, मानवता का पाठ हमे सिखलाऐगा। सुरति शबद का मिलान ही, सबको सतधाम लेकर जाऐगा-वन्दे पारब्रम्ह--।।02।।सत सनातन सद्भाव से वर्तना, सतगुरु ही हमे सिखलाते है। भेद भाव और कुकर्म से हमको बचना, सतसंगत ही मे बतलाते है-वन्दे पारब्रम्ह--।।03।।समता का भाव, सत प्रेम संबंध का विकास सतगुरु जी करवाते है। सारशबद अखण्ड सतगुरु का पाकर नर प्राणी भवसागर तर जाते है-वन्दे पारब्रम्ह--।।04।।नांद पुत्र साँई अरुण जी कमाल के सतसंग सुन सुन कर, पापी भी तर जाते है। आत्माराम और परमात्माराम के मेल मिलाप से, आवागमन मिट जाते है-वन्दे पारब्रम्ह--।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
Ansari premiji, aapke bhagya ki sarahna kanha Tak karu jitna bakhan kiya jaay utna hi kam hai esliye aapse mera yahi gujarish hai ki manav dharam ke prachar prasar me aapka sahyog agraganya ho aur Shri gurumaharaj ke charno me aapka chit sadev laga rahe-jay shrisacchidanand
Jay Shri sachidanand bahut Achcha Laga sunke lekin Jab Koi Gyan Ki Baat Hoti Hai To Lakhon ki baat ke bich do kodi ki add Aati Hai to use us baat ka kya Moll Raha jata hai