Shani Kavach In Hindi - शनि कवच हिंदी में | shani raksha kavach | shani kavach | Mantra Sarovar
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शनि कवच के फायदे / शनि कवच के लाभ
- शनि की ढैया या साढ़ेसाती का प्रकोप कम करने के अनेक उपाय हैं परन्तु इसमें सबसे प्रभावशाली है स्वयं श्री शनि देव जी का अध्भुत कवच जिसमे हम न केवल उनकी स्तुति करते हैं बल्कि उनसे अपने सभी अंगो की रक्षा की प्रार्थना करते हैं जिससे शनि की ढैया या साढ़ेसाती का प्रभाव नष्ट हो जाता है
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शनि कवच / शनि कवच संस्कृत
ॐ अस्य श्रीशनैश्चरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्री शनैश्चर देवता श्रीशनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
ध्यानम् ।
नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्याद् वरदः प्रशान्तः ॥ १॥
ब्रह्मा जी बोले
शृणुध्वमृषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ॥ २॥
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ ३॥
ॐ श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनन्दनः
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः ॥ ४॥
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा ।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठं भुजौ पातु महाभुजः ॥ ५॥
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः ।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्तथा ॥ ६॥
नाभिं ग्रहपतिः पातु मन्दः पातु कटिं तथा ।
पादौ मन्दगतिः पातु सर्वांगं पातु पिप्पलः
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दनः ॥ ८॥
इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य यः ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः ॥ ९॥
व्यय - जन्म -द्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोऽपि वा ।
कलत्रस्थो गतो वापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥ १० ॥
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ॥ ११॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा । द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशयते सदा ।
जन्मलग्नस्थितान् दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभुः ॥ १२॥
इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्म नारदसंवादे शनिवज्रपंजरकवचं सम्पूर्णम् ॥
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शनि कवच हिंदी में / शनि कवच हिंदी
ॐ इस श्री शनि वज्रपञ्जर कवच स्तोत्र के कश्यप ऋषि हैं ,अनुष्टुप् छन्द है , श्री शनैश्चर देवता हैं और भगवान् श्री शनि देव की प्रसनत्ता के लिए शनि वज्र पंजर स्तोत्र के जप में इसका विनियोग किया जाता है
हे भगवन, नीले रेशमी वस्त्र पहहने वाले , नीले शरीर वाले, मुकुट धारण करने वाले , गिद्ध पर विराजमान, दशा लगने पर त्रास देने वाले , धनुष धारण करने वाले , चार हाथों वाले और सूर्य देव के पुत्र, मुझ पर सदा प्रसन्न रहकर मुझे वरदान दीजिये
हे ऋषि, यह महान कलयाणकारी शनि कवच, राजा शनि देव द्वारा दिए सभी कष्टों और दुखो के निवारण का उत्तम उपाय है , जो सूर्य के कुल में अतुलनीय रूप से महान हैं, वह शनि देव इस कवच को सुनकर प्रसन्न हों।
यह कवच जिसे "वज्र पंजर अर्थात ढाल " कहा जाता है, जिसमें समस्त देवताओं का वास है, मंद गति से चलने वाले शनि महाराज को अत्यंत प्रिय है,इसके पाठ से सभी प्रकार के सौभाग्य की प्राप्ति होती है.............
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit
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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@MantraSarovar
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29 июл 2023