अद्वैतवाद सम्प्रदाय के अंतिम प्रतिनिधियाें में से एक .. ...... .. जगत् गुरु वाग्वैखरी शब्दझरी शास्त्रव्याख्यानकाैशलम् | वैदुष्यं विदुषां तद्वत् भुक्तये न तु मुक्तये || - विवेकचूड़ामणि ||58|| 'शब्द योजना की विभिन्न रीतियाँ, सुन्दर भाषा बोलने की विभिन्न शैलियाँ, शास्त्रों के अर्थ समझाने के अनेक रूप - ये सब विद्वानों के आनन्दभोग की वस्तुएँ हैं; इनसे किसी को मुक्ति नहीं मिल सकती।' विवेकानन्द साहित्य संचयन - पृष्ठ संख्या 44