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Original Credits :
Song : Shiv Tandav Stotram ( Traditional, Sanskrit)
Lyrics : Sri Raavan
Singer: Madhvi Madhukar Jha
Music Label : SubhNir Productions
Music Director : Nikhil Bisht, Rajkumar
Artist as Shiv ( Shiv Tandav Dance ) - Nikhil Paul
Rhythm and Percussion : Amit Kumar Keyboard : Pawan Kumar
Video Shoot: Vishal Raj
Video Editor : Nitin Choudhary
शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
1. अर्थ - जिन्होंने जटारुपी अटवी (वन) से निकलती हुई गंगा जी के गिरते हुए प्रवाहों से पवित्र किये गए गले में सर्पों की लटकती हुई विशाल माला को धारण कर डमरू के डम डम शब्दों से मण्डित प्रचंड तांडव नृत्य किया, वे शिवजी हमारे कल्याण का विस्तार करें।
2.अर्थ - जिनका मस्तक जटारुपी कड़ाह में वेग से घूमती हुई गंगा की चंचल तरंगों से सुशोभित हो रहा है, ललाट की अग्नि धक् धक् जल रही है, सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं, उन भगवान शिव में मेरा निरंतर अनुराग हो।
3.अर्थ - गिरिराज किशोरी पार्वती के शिरोभूषण से समस्त दिशाओं को प्रकाशित होते देख जिनका मन आनंदित हो रहा है। जिनकी निरंतर कृपादृष्टि से कठिन से कठिन आपत्ति का भी निवारण हो जाता है, ऐसे किसी दिगंबर तत्व में मेरा मन आनंद प्राप्त करे।
4.अर्थ - जिनकी जटाओं में रहने वाले सर्पों के फणों की मणियों का फैलता हुआ प्रभापुंज दिशा रुपी स्त्रियों के मुख पर कुंकुम का लेप कर रहा है। मतवाले हाथी के हिलते हुए चमड़े का वस्त्र धारण करने से स्निग्ध वर्ण हुए उन भूतनाथ में मेरा चित्त अद्भुत आनंद करे।
5. अर्थ - जिनकी चरण पादुकाएं इन्द्र आदि देवताओं के प्रणाम करने से उनके मस्तक पर विराजमान फूलों के कुसुम से धूसरित हो रही हैं। नागराज के हार से बंधी हुई जटा वाले वे भगवान चंद्रशेखर मुझे चिरस्थाई संपत्ति देनेवाले हों।
6.अर्थ - जिन्होंने ललाट वेदी पर प्रज्वलित हुई अग्नि के तेज से कामदेव को नष्ट कर डाला था, जिनको इन्द्र नमस्कार किया करते हैं। सुधाकर (चन्द्रमा) की कला से सुशोभित मुकुट वाला वह उन्नत विशाल ललाट वाला जटिल मस्तक हमें संपत्ति प्रदान करने वाला हो।
7.अर्थ - जिन्होंने अपने विकराल ललाट पर धक् धक् जलती हुई प्रचंड अग्नि में कामदेव को भस्म कर दिया था। गिरिराज किशोरी के स्तनों पर पत्रभंग रचना करने के एकमात्र कारीगर उन भगवान त्रिलोचन में मेरा मन लगा रहे।
8. अर्थ - जिनके कंठ में नवीन मेघमाला से घिरी हुई अमावस्या की आधी रात के समय फैलते हुए अंधकार के समान कालिमा अंकित है। जो गजचर्म लपेटे हुए हैं, वे संसार भार को धारण करने वाले चन्द्रमा के समान मनोहर कांतिवाले भगवान गंगाधर मेरी संपत्ति का विस्तार करें।
9. अर्थ - जिनका कंठ खिले हुए नील कमल समूह की श्याम प्रभा का अनुकरण करने वाली है तथा जो कामदेव, त्रिपुर, भव (संसार), दक्षयज्ञ, हाथी, अन्धकासुर और यमराज का भी संहार करने वाले हैं, उन्हें मैं भजता हूँ।
10.अर्थ - जो अभिमान रहित पार्वती जी के कलारूप कदम्ब मंजरी के मकरंद स्रोत की बढ़ती हुई माधुरी के पान करने वाले भँवरे हैं तथा कामदेव, त्रिपुर, भव, दक्षयज्ञ, हाथी, अन्धकासुर और यमराज का भी अंत करनेवाले हैं, उन्हें मैं भजता हूँ।
11. अर्थ - जिनके मस्तक पर बड़े वेग के साथ घूमते हुए साँपों के फुफकारने से ललाट की भयंकर अग्नि क्रमशः धधकती हुई फैल रही है। धीमे धीमे बजते हुए मृदंग के गंभीर मंगल स्वर के साथ जिनका प्रचंड तांडव हो रहा है , उन भगवान शंकर की जय हो।
12. अर्थ - पत्थर और सुन्दर बिछौनों में, सांप और मोतियों की माला में, बहुमूल्य रत्न और मिटटी के ढेले में, मित्र या शत्रु पक्ष में, तिनका या कमल के समान आँखों वाली युवती में, प्रजा और पृथ्वी के राजाओं में समान भाव रखता हुआ मैं कब सदाशिव को भजूँगा ?
13. अर्थ - सुन्दर ललाट वाले भगवान चन्द्रशेखर में मन को एकाग्र करके अपने कुविचारों को त्यागकर गंगा जी के तटवर्ती वन के भीतर रहता हुआ सिर पर हाथ जोड़ डबडबाई हुई विह्वल आँखों से शिव मंत्र का उच्चारण करता हुआ मैं कब सुखी होऊंगा ?
14. अर्थ - जो मनुष्य इस उत्तमोत्तम स्तोत्र का नित्य पाठ, स्मरण और वर्णन करता है, वह सदा शुद्ध रहता है और शीघ्र ही भगवान शंकर की भक्ति प्राप्त कर लेता है। वह विरुद्ध गति को प्राप्त नहीं करता क्योंकि शिव जी का ध्यान चिंतन मोह का नाश करने वाला है।
15. अर्थ - सायंकाल में पूजा समाप्त होने पर जो रावण के गाये हुए इस शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करता है, भगवान शंकर उस मनुष्य को रथ, हाथी, घोड़ों से युक्त सदा स्थिर रहने वाली संपत्ति प्रदान करते हैं।
16 сен 2024