सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
ज्ञान बोध पृष्ठ 32 का सारांश:- इस पृष्ठ पर गुरूदेव की महिमा बताई है। शिष्य को गुरूदेव के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह समझाया है। गुरू सेवा में फल सब आवै। गुरू विमुख नर पार न पावै।। गुरू वचन निश्चय कर मानै। पूरे गुरू की सेवा ठानै।। गुरू से शिष्य करे चतुराई। सेवाहीन नरक में जाई।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं, जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा। छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्व का एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
⚡️ कबीर साहेब जी सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर" पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
जीव में ज्यों-ज्यों नीचता आती है, उसमें अहंकार बढ़ता चला जाता है तथा ज्यों-ज्यों भक्ति करके आत्मा में अध्यात्म शक्ति बढ़ती है, त्यों-त्यों उस भक्त में आधीनी यानि दीनता आती है। बंदीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज
कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं। सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेता युग में मुनीन्द्र ऋषि, द्वापर युग में करुणामय और कलयुग में कबीर नाम से पृथ्वी पर प्रकट हुए थे।
कबीर, सात समुन्द्र की मसि करूं, लेखनी करूं बनराय। धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।। कबीर, गुरु बड़े गोविन्द से, मन में देख विचार। हरि सुमरे सो रह गए, गुरु भजे हुए पार।।
संत रामपाल जी महाराज जी ने तत्वज्ञान द्वारा समझाया है कि यदि आज हम किसी से रिश्वत लेते हैं तो अगले जन्म में पशु बनकर उसका ऋण उतारना पड़ेगा। व इस जन्म में भी कष्ट पर कष्ट सहन करने पड़ेंगे। इस कारण उनके ज्ञान से परिचित होकर लाखों लोगों ने इस कुरीति से तौबा कर ली है। सुनिए संत रामपाल जी महाराज जी के प्रवचन साधना चैनल पर शाम 7:30 बजे
🙏❤️ वेदो मे प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है ❤️🙏 🙏❤️ सत लोक के मालिक रचनाहार❤️ पूर्णब्रह्म पूर्ण पिता परमेश्वर ❤️🙏 🙏❤️ बंदी छोड पूर्ण परमात्मा पूर्ण पिता परमेश्वर सारे ब्रह्मांड के मालिक रचनाहार पूर्णब्रह्म कबीर साहेब परमेश्वर की जय हो ❤️ कोटी कोटी दंडवत प्रणाम मालिक जी ❤️ कोटी कोटी दंडवत प्रणाम परमात्मा जी ❤️ कोटी कोटी दंडवत प्रणाम गुरुजी ❤️ बंदी छोड पूर्ण परमात्मा पूर्ण पिता परमेश्वर सारे ब्रह्मांड के मालिक रचना हार तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान जी की जय हो ❤️ सत साहेब परमात्मा जी ❤️ सत साहेब मालिक जी ❤️ सत साहेब गुरुजी ❤️ बोलो बंदी छोड की ❤️🙏 हे बंदी छोड परमात्मा जी हे बंदी छोड गुरुजी इस दास पे एक रोटी की नोकरी पे दया करना सत साहेब ❤️🙏
कबीर ,नहीं भरोसा देही का ,विनष जावे छिन माही। श्वांस -उश्वांस नाम जपो ,और यतन कछु नाही।। कौन है वह अविनाशी राम जिनका सुमिरन करने पर अकाल मृत्यु भी टलती है? जानने हेतु पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा "
इस पृथ्वी पर कोई मनुष्य सुखी नही है क्योंकि यह लोक हमारा नहीं है हमारा लोग सतलोक है जहां संत रामपाल जी महाराज के द्वारा बताई गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करके जाया जा सकता है
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 के मंत्र 8 में लिखा है की उस परमात्मा को उग्र गतियां प्रेरणा करती हैं और तेजोमय शरीर को वो परमात्मा प्राप्त होता है जिसमे तीन प्रकार से दूसरों का कल्याण करने वाला मधुमय शरीर मिलता है।
श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है। विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों। और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है? गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
वर्तमान समय में सत्य को परखने वाला और काल के लोक में सत्य कहने की ताकत रखने वाला संत कोई और नही जगत के तारणहार जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज है। जिन्होंने समाज में फैली व्याप्त बुराइयों को दूर करने का बीड़ा उठाया है।अंधभक्ति में डूबे लोगों आध्यात्मिक ज्ञान की क्रांति लाकर जन जन तक सद्ग्रंथो में लिखी गई गूढ़ रहस्य को उजागर करके पढ़ी लिखी जनता तक पहुंचाया है।