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STORY OF RAMAYANA IN HINDI , IN SHORT 

SHIKSHA BHARATI SR. SEC. SCHOOL
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भगवान राम के जीवन की झलक: एक अनमोल कहानी
मान्यतानुसार रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है। गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य श्री निश्चलानन्द सरस्वती प्रभृति संतों के अनुसार श्रीराम अवतार श्वेतवाराह कल्प के सातवें वैवस्वत मन्वन्तर के चौबीसवें त्रेता युग में हुआ था जिसके अनुसार श्रीरामचंद्र जी का काल लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व का है। इसके सन्दर्भ में विचार पीयूष, भुशुण्डि रामायण, पद्मपुराण, हरिवंश पुराण, वायु पुराण, संजीवनी रामायण एवं पुराणों से प्रमाण दिया जाता है।
इस महाकाव्य के ऐतिहासिक विकास और संरचनागत परतों को जानने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आधुनिक विद्वान इसका रचनाकाल ७ वीं से ४ वीं शताब्दी ईसा पूर्व मानते हैं। कुछ विद्वान तो इसे तीसरी शताब्दी ई तक की रचना मानते हैं।कुछ भारतीय कहते हैं कि यह ६०० ईपू से पहले लिखा गया।उसके पीछे तर्क यह है कि महाभारत, बौद्ध धर्म के बारे में मौन है जबकि उसमें जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन है।[6] महाभारत, रामायण के पश्चात रचित है, अतः रामायण गौतम बुद्ध के काल के पूर्व का होना चाहिये। भाषा-शैली के अनुसार भी रामायण, पाणिनि के समय से पहले का होना चाहिये।
“ रामायण का पहला और अन्तिम कांड संभवतः बाद में जोड़ा गया था। अध्याय दो से सात तक ज्यादातर इस बात पर बल दिया जाता है कि राम विष्णु[ग] के अवतार थे। कुछ लोगों के अनुसार इस महाकाव्य में यूनानी और कई अन्य सन्दर्भों से पता चलता है कि यह पुस्तक दूसरी सदी ईसा पूर्व से पहले की नहीं हो सकती पर यह धारणा विवादास्पद है। ६०० ईपू से पहले का समय इसलिये भी ठीक है कि बौद्ध जातक रामायण के पात्रों का वर्णन करते हैं जबकि रामायण में जातक के चरित्रों का वर्णन नहीं है

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21 сен 2024

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