सुधांशु जी आपको शिक्षा मंत्री होना चाहिए आप जैसा नॉलेज किसी भी नेता, मंत्री में नहीं है.... जो भी भाई बहन मेरी इस बात से सहमत हैं कॉमेंट में हां लिखें.....
आप बहुत शानदार भारतीय संस्कृति के ओजस्वी वक्ता हैं। लेकिन आप दूसरे लोगो के लिए जरा भी राजनीतिक वक्तव्य देते हैं तो बहुत दुख होता है।आप महान वक्ता हैं।नमन है आपको।
अगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने इतिहास से बेखबर है। आपने "ग्रीक सपार्टा" और "परसियन" की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगा ...... इनके ऊपर "300" जैसी फिल्म भी बनी है .... . पर अगर आप "सारागढ़ी" के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई सिखलैँड मेँ हुई थी ...... बात 1897 की है ..... नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया ...... वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे .... . इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था ..... इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी ....... जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे ..... ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे ..... 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे ....... ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है ....... फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी ..... एक तरफ 12 हजार अफगान थे ..... तो दूसरी तरफ 21 सिख ....... यंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 600-1400 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी ..... सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया ........ अफगानोँ की हार हुयी ..... जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी ......ब्रिटेन की संसद मेँ सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया ..... इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया ....... जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था ...... भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था ...... UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया ...... इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी ...... पर मुझे दुख होता है कि जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए ...... उसके बारे मेँ कम लोग ही जानते है .......ये लड़ाई यूरोप के स्कूलोँ मेँ पढाई जाती है पर हमारे यंहा जानते तक नहीँ ........
जाति "जन्मना" होती है यह ब्राह्मणी धर्म के काल्पनिक कथा कहानियों से आता है और इस पा-खंडी धर्म का आधार है यानी ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण ही होगा... और शूद्र का पुत्र शूद्र ही रहेगा, स्त्री किसी भी वर्ण की हो हमेशा शूद्र ही रहेगी और ताड़ना यानी जैसे ढोल और पशु को पीटा जाता है वैसे ही पीटे जाने की अधिकारी होती है, स्त्री और शूद्र को पढ़ने लिखने और सम्पति रखने का कोई अधिकार नहीं है बल्कि ब्राह्मण की संपत्ति हैं, यह रामायण के वचन हैं मनु का विधान है... ब्राह्मण धर्म की गन्दगी ऊँच नीच और असमानता को छुपाने के लिए अंग्रेजों मुगलों पर दोष मढ़ा जाता है.. ब्राह्मण धर्म की इसी गन्दगी की वजह से लोगों ने इस्लाम ईसाई सिख और बौद्ध धर्म अपना लिया... ब्राह्मण अपने आर-एस-एस गैं-ग के आ-तं-क से ब्राह्मण धर्म छोड़ कर जा चुके लोगों की अपनी गन्दगी में दोबारा खींचना चाहता है यानी सत्ता के लिए घर वापसी करवाना चाहता है जो अब संभव नहीं है कोशिश की तो पाकिस्तान और बांग्लादेश बन चुके है.. आर-एसएस गैं.ग फिर कोशिश 'हिन्दू राष्ट्र' के नाम पर कर रहा है तो भारत फिर से टूट के कगार पर है यानी खालिस्तान और ईसाइस्तान के नाम पर और नए देश बनेंगे... पेरियार के मानने वाले भी अलग हो सकते है, लिंगायतस्तान और वोकलिंगास्तान अलग हो सकते हैं, आदिवासियों के अपने धर्म और संस्कृतिया हैं, इसी तरहा और भी छोटे राज्य नए देश बन सकते है... यानी ब्राह्मणी धर्म जनता और देश को तोड़ता है, जोड़ता नहीं..... इस धर्म से छुटकारा ही भारत को बचा सकता है...
में आपके श्री चरणों को सादर प्रणाम करता हूं।। आप हमारी संस्कृति और हमारे सनातन की शाश्वत शक्ति आप सारे संसार को बता रहे हैं ।। याद दिला रहे हैं में आपको पुनः pradam करता हूं।।
जय श्री राम जय हो वीर योद्धा सुधांशु त्रिवेदी जी विद्वान महान धर्म सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है हिन्दू राष्ट्र संघ घोषित किया जाए
सुधांशु जी का ज्ञान अद्वितीय है, अतुलनीय है, जिसको शब्दों में व्यक्त करना असंभव है.. ऐसा ज्ञानी और स्पष्ट वक्त अपने आज तक के जीवन काल नहीं देखा। शत शत नमन आदरणीय सुधांशु जी को। सनातन संस्कृति पर आपकी गहरी पैठ है, आपको सुनते रहने की इच्छा होती है...भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
आपकी वाणी से सनातन संस्कृति का ज्ञान बहुत ही सरल भाषा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर समझाया है आप महान है और धन्य हैं आपको जन्म देने वाले माता पिता को कोटी कोटी प्रणाम भारत माता की जय
जाति "जन्मना" होती है यह ब्राह्मणी धर्म के काल्पनिक कथा कहानियों से आता है और इस पा-खंडी धर्म का आधार है यानी ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण ही होगा... और शूद्र का पुत्र शूद्र ही रहेगा, स्त्री किसी भी वर्ण की हो हमेशा शूद्र ही रहेगी और ताड़ना यानी जैसे ढोल और पशु को पीटा जाता है वैसे ही पीटे जाने की अधिकारी होती है, स्त्री और शूद्र को पढ़ने लिखने और सम्पति रखने का कोई अधिकार नहीं है बल्कि ब्राह्मण की संपत्ति हैं, यह रामायण के वचन हैं मनु का विधान है... ब्राह्मण धर्म की गन्दगी ऊँच नीच और असमानता को छुपाने के लिए अंग्रेजों मुगलों पर दोष मढ़ा जाता है.. ब्राह्मण धर्म की इसी गन्दगी की वजह से लोगों ने इस्लाम ईसाई सिख और बौद्ध धर्म अपना लिया... ब्राह्मण अपने आर-एस-एस गैं-ग के आ-तं-क से ब्राह्मण धर्म छोड़ कर जा चुके लोगों की अपनी गन्दगी में दोबारा खींचना चाहता है यानी सत्ता के लिए घर वापसी करवाना चाहता है जो अब संभव नहीं है कोशिश की तो पाकिस्तान और बांग्लादेश बन चुके है.. आर-एसएस गैं.ग फिर कोशिश 'हिन्दू राष्ट्र' के नाम पर कर रहा है तो भारत फिर से टूट के कगार पर है यानी खालिस्तान और ईसाइस्तान के नाम पर और नए देश बनेंगे... पेरियार के मानने वाले भी अलग हो सकते है, लिंगायतस्तान और वोकलिंगास्तान अलग हो सकते हैं, आदिवासियों के अपने धर्म और संस्कृतिया हैं, इसी तरहा और भी छोटे राज्य नए देश बन सकते है... यानी ब्राह्मणी धर्म जनता और देश को तोड़ता है, जोड़ता नहीं..... इस धर्म से छुटकारा ही भारत को बचा सकता है...
आध्यात्मिक ज्ञान भौगोलिक ज्ञान इतिहास का ज्ञान आधुनिक विज्ञान का ज्ञान धर्म संस्कृति राजनीति का ज्ञान क्या बोलूं अद्भुत है आप अपने व्यस्तम क्षड़ो में जब भी फुर्सत के पल होते हैं आपको अवश्य सुनता हूं❤
मन, वचन और कर्म जिनके एक हो, वे महात्मा हैं, और जिनके भिन्न भिन्न हो, वे दुरात्मा हैं! भारत की मन, वचन और कर्म एक समान नहीं हैं, अत:भारत में दुर्नीति है, राजनीति नहीं! भारत में नेता नहीं, दुर्नेता हैं!
आदरणीय आचार्य सुधांशुजी त्रिवेदी आप हमारे धरोहर हैं । आपके माता पिता को कोटी कोटी नमन । आशा है हमारी राष्ट्रप्रेमी युवाशक्ती आपके अद्भुत ज्ञान का सही समय में उपयोग करें । ।। हर हर महादेव ।।
धर्म की उत्पत्ति संस्कृत के धृ धातु से हुई है सनातन में धर्म की व्याख्या में है कि हम क्या धारण करते हैं अर्थात आचरण, विचार, कर्तव्य, कर्म, जीवन शैली........ चरित्र, मानवता, समन्वय आदि। आपके ज्ञान और विचार को प्रणाम श्रीमान जी🙏🙏🙏🙏🙏
Sudhanshu ji ki knowledge on history is great. We need to reevaluate and continue deep studies which had been missing in last few centuries. Ham khaane ko intazaam mein his busy hai. Need more funding on scientific research and study
अती सुंदर...अद्भुत... इन गौरवान्वित करनेवाली बातें सुनकर रोम-रोम पुलकित हुआ... इस व्याख्यान को सब को सुननी चाहिए... ज्ञान तो ठीक है, पर उस को ठीक से हमारे मान्यताओं के साथ मेल मिलाकर बताना बहुत बडी बात है ।
हर हर महादेव हिन्दू योद्धा सुधांसु को नमन करते हैं और हिंदू समाज आपके ऋणी रहेगा आपका कथन सही है हिन्दू राष्ट्र संघ घोषित किया जाए कांग्रेस पार्टी को खत्म करना होगा
@Sudhanshu जी आपको डुग्गर धरती से आपका ये अनुज आपको दंडवत प्रणाम करता है, आपके ज्ञान के भण्डार को मां सरस्वती यूंही बनाए रखे, यहीं प्रार्थना है मेरी मां से। एक बार जीवन मे आपसे भेंट करने की मेरी अभिलाषा है। मेरी इस जिज्ञासा को राम जी अवश्य पूर्ण करेंगे। जय हो, जय जयकार हों आपकी बड़े भैया और हमारे असीमित ज्ञान को अपने भीतर समाय बैठी मां भारती की।