ॐ
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की,
विश्वासी प्रेमी आते हैं
गुरु वचनों पर मिट जाते हैं
वाह वाह रे श्रद्धा भक्तों की |
जो भी मुरझाए आते हैं,
दिल उनके भी खिल जाते हैं
वाह वाह ये ख़ुशबू सत्संग की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
यहाँ कर्मों के खाते कटते हैं,
दुःख रोग सारे मिट जाते हैं
वाह वाह रे दृष्टि सत्गुरु की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
सूनी थी बगिया जीवन की,
सत्गुरु ने गुलशन कर दिया
वाह वाह रे रहमत सत्गुरु की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
ये अनहद नाद सुनाती है,
मन में ये श्रद्धा लाती है
वाह वाह रे शांति भीतर की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
निर्बल को सहारे देते हैं,
सबमें वो शांति भरते हैं
वाह-वाह रे वाणी सत्गुरु की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
ये प्रेम सुधा बरसाते हैं,
पल में ये प्रीत बढ़ाते हैं
वाह वाह रे महफ़िल सत्गुरु की,
वाह वाह ये मस्ती सत्संग की ||
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22 окт 2024