तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे इश्क़ जो ज़रा सा था वो बढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे तू जो मेरे संग चलने लगे तो मेरी राहें धड़कने लगे देखूँ जो ना इक पल मैं तुम्हें तो मेरी बाहें तड़पने लगे इश्क़ जो ज़रा सा था वो बढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे हाथों से लकीरें यही कहती है के ज़िंदगी जो है मेरी तुझी में अब रहती है लबों पे लिखी है मेरे दिल की ख़्वाहिश लफ़्ज़ों में कैसे मैं बताऊँ इक तुझको ही पाने की ख़ातिर सबसे जुदा मैं हो जाऊँ कल तक मैंने जो भी ख़्वाब थे देखे तुझमें वो दिखने लगे इश्क़ जो ज़रा सा था वो बढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे सासों के किनारे बड़े तनहा थे तू आ के इन्हें छू ले बस यही तो मेरे अरमां थे सारी दुनिया से मुझे क्या लेना है बस तुझको ही पहचानू मुझको ना मेरी अब ख़बर हो कोई तुझसे ही खुदको मैं जानू रातें नहीं कटती बेचैन से होके दिन भी गुज़रने लगे इश्क़ जो ज़रा सा था वो बढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे तेरा फ़ितूर जब से चढ़ गया रे