🌸Upanishad Ganga🌸 Its old, yet new, Its meant for you. In these days of jet-setting and fast food, when money making is competing with man making; an age when success without stress seems a distant dream; when rhythm and life seem completely disjoint, Upanishads emerge as a ray of hope. Upanishad is the heart of Indian thought and philosophy, the very foundation of our culture and ethos. 🌸Watch ALL THE EPISODES of this ancient wisdom over here:🌸 ru-vid.com/group/PLm6DKuwwu5zru7Y0K55cpm2EF91JlEl0M 🌸SUBSCRIBE to RU-vid: #ChinmayaChannel 🔔 Click To Subscribe🌸 ru-vid.com Press 🔔 to never miss any updates.
मैं आध्यात्म क्षेत्र में ऐसे विषय प्रस्तुत करने के लिए और सनातन धर्म के लिए ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक धारावाहिक बनाने वाले कलाकारों और निर्माता निर्देशक और समस्त कार्य रत महानुभावों का हृदय से हार्दिक अभिनंदन करता हूं ईश्वर इन सभी के उपर कृपा बनाए रखे
ऎसा अद्भुत ऒर प्रचंड ज्ञान प्रकाश जो वेदोमें छुपा हॆ वह आप प्रकट कर रहे हॆ। मुझे अपार आनंद हो रहा हॆ की मॆं सॊभाग्यवश ऒर गुरुकृपासे ही इस ज्ञानका सानिध्य पा रहा हू। बहुत धन्यवाद ऒर अनेक शुभकामनाऍ।
स्वेतकेतू , क्या तुम शहद, इक्ठा कर रही मधुमखियों को, देख पा रहे हो ! भिन्न-भिन्न फूलों का रस, जब एक हो जाता है, तो शहद बन जाता है ! क्या शहद बनने के बाद, कोई रस यह कह सकता है कि मैं इस फूल का रस हूँ या इस फूल का रस हूँ ! उसी तरह, जब एक वयक्ति उस शुद्ध चेतना के साथ एक हो जाता है, तो उसकी वयक्तिगत पहचान खत्म हो जाती है ! जैसे सागर में मिलकर नदियाँ अपने अस्तित्व को को देती हैं, वैसे ही सभी, अंत में उस चेतना में विलीन हो जाते हैं ! सभी को वह जोड़ने वाली चेतना सत् है ! उसी से तुम बने हो ! तत त्वम असि ! स्वेतकेतू--तात, तो फिर इस एक और अभिविभक्त अस्तित्व से, विविधपूर्ण संसार ने कैसे जन्म लिया ! उद्दालक --जाओ, तुम किसी एक बरगद (NYAGRODHA) के पेड़ का एक फल लेकर आओ ! इसे तोड़ो, और बताओ, इस फल के भीतर क्या है ? स्वेतकेतू--इसके भीतर सैकड़ो छोटे-छोटे बीज हैं ! उद्दालक--एक बीज को तोड़ कर देखो, इस के भीतर क्या है ? स्वेतकेतू--मैं इसके भीतर कुछ भी नहीं देख पा रहा हूँ, तात ! उद्दालक--इस, सूक्ष्म तत्त्व, जिसे तुम देख नहीं सकते, इस तत्त्व की सूक्ष्मता से ही, इस विविधता, शाखाओ, फूलों,फलों के साथ समूचे बरगद (NYAGRODHA) के पेड़ का जन्म हुआ ! वैसे ही अनुभूति से परे, अभिव्यक्त अस्तित्व से ही, इस सारी सृष्टि का जन्म हुआ !
जैसे सोने को जान लेते हैं तो सोने के सारे आभूषण को जान लेते हैं ,जैसे मिट्टी को जान लेते हैं तो मिट्टी के सारे बर्तनों को जान लेते हैं वैसे ही स्वयं को जान लेने से कुछ जान ना बाकी नहीं रहता।
इस ज्ञान सागर को बनाने वाले प्रति एक को मेरा कोटि कोटि नमन। लेकिन महाराज जनक त्रेता युग में हुए और महर्षि व्यास द्वापुर युग में ये कैसा संयोग है इस ज्ञान सागर का प्रति एक भाग कई कई बार देखा है। वास्तव मे हमारी सनातन संस्कृति महान है जो पूरे विश्व का कल्याण करती हैं। जय श्री राम
उद्दालक स्वेतकेतू को सर्वोच्च ज्ञान समझाते हुए ..... स्वेतकेतू, मुझे नहीं लगता है कि तुमने वेदो का मर्म समझा है ! क्या तुम उसे जानते हो, जिसे जानने से, जो सुना न गया, वह सुनाई देने लगता है ! जिसके बारे में विचार न किया गया हो, वह विचार बन सामने आ जाता है ! जो अज्ञात है, वह ज्ञात हो जाता है ! जब तुम मिट्टी को जान लेते हो, तो मिट्टी से बने सारे वर्तन को जान लेते हो ! जब तुम स्वर्ण को जान लेते हो, तब तुम स्वर्ण से बने सारे आभूषण को जान लेते हो ! क्या है, वह मूलभूत तत्त्व, जिसके जानने से तुम सब कुछ जान सकते हो ? वह सर्वोच्च सत्य सत् है या अस्तित्व है ! इसी अस्तित्व से नाम रूप के सारे संसार ने जन्म लिया है ! जैसे स्वर्ण ही स्वर्ण आभूषण है, मिट्टी ही, मिट्टी का घड़ा है ! वैसे ही सत् या अस्तित्व ही सब कुछ है ! इसलिए तुम सत् ही हो ! तत त्वम असि (TAT TVAM ASI) प्रारम्भ में सत् या अस्तित्व एक ही था ! इसके अलावा दूसरा कोई नहीं ! इसने अनेक होना चाहा ! इससे पहले आकाश फिर वायु , वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी का जन्म हुआ ! इन तत्वों के मिलने से विविधपूर्ण संसार का जन्म हुआ ! वह मूलभूत सत्, तुम ही हो स्वेतकेतू, तत त्वम असि (TAT TVAM ASI). वह अनन्त सर्वव्यापी सत् ही तुम्हारे भीतर कि चेतना है !
Hats off to Sri Chinmaya Mission. It is slowly injecting the Advitha Vedantha to the viewers. Almost, each episode pronounces "Brahman Satyam, Jagath Mithya, Jeeva Brahmaiva Na Para". Each episode is being so systematically presented. Seems to be, the actors are also well versed with the Vedantha and scholarly persons. 🙏🙏🙏
apka dil se dhyanyawad aap nahi jante yeh gyan ke episode vana ke aap kitne logo pe param upkaar kar rhe aap ko mere sare umar lag jaye dhanya hai apke maa baaj dhanya hai aapka kul gotra
इस तरह के सुन्दर विचार और आध्यात्म को विकसित करने वाले इस एकमात्र चैनल का आज हम सभी भारतवर्ष के युवाओं तक पहुंचना अति आवश्यक है अधिक से अधिक शेयर करे ताकि इस उपनिषद की गंगा में विस्तृत वर्णन तत त्वम असी को जान सके 🙏🙏🙏
Hari OM Swamiji, Please make another serial from Anubhutiprakasha, so we will acquire knowledge from it. We must try to learn Vedas. Swamiji you made it easier for sadhak like me. Koti vandan Swamiji.
Unbelievable performance by each and everyone. Thankful from heart 👏🏻👏🏻👏🏻 to your level of dedication. Fan of all of you🙏🏻🙏🏻 I will never forget this ❤
They greatest THAT i have seen about Hinduism and spirituality. Translate this into all the major languages of India so that each and every Indian can understand the PURPOSE OF LIFE and do sadhana.
The ultimate knowledge, same only needs to be obtained & experienced, through Dhyan, Dharna & Samadhi, which only can be known by Guru's teaching & can be experienced by God's & Gurudev's blessings 🙏
जय श्री राम इस एपिसोड के लिए पात्र समूह सिर्फ मेरा प्रणाम स्वीकार करें क्योंकि धन्यवाद के लिए कोई शब्द नहीं मिल रहा है और मेरी कठिनाई यह है यह स्थिति अल्प समय तक ही रहती है प्रणाम नमस्कार धन्यवाद