मनोज सोनी को UPSC का चेयरमैन बनाना ही गलत है l क्योंकि वह UPSC examination से निकला नहीं हैं l वह UPSC का चेयरमैन बनना अपने आप में प्रश्न उत्पन्न कर रहा हैं l
अब क्या रहा भारत में जब यूपीएससी में आइएएस और आइपीएस के चयन में भी भ्रष्टाचार एवं घोटाला होने लगा? ईडी एवं सीबीआई जैसी एजेंसियां केन्द्र सरकार के इशारे जांच में लिपापोती करती है, इसलिए जांच से क्या होगा, कुछ भी नहीं होगा। सुप्रीमकोर्ट के सीधे नियंत्रण एवं अनुश्रवण में इन जांच एजेंसियों का उपयोग करना चाहिए, तब कुछ हो सकता है।
सोनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है इसीलिये यूजीसी के नियम को ताक में रखकर नरेन्द्र मोदी जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे ने उन्हें कुलपति बना दिया था। कुलपति के लिये कम से कम 10 वर्ष प्रोफेसर का अनुभव चाहिये था। पर मनोज सोनी प्रोफेसर थे ही नहीं मात्र रीडर थे। मोदी ने उन्हें 2005 में वडोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) के कुलपति के रूप में चुना था। तब वह केवल 40 वर्ष के थे।
जहां देखिए वहाँ गडबडी, ये तो व्यापमं से भी बड़ा दिख रहा है. किसी निष्पक्ष और honest संस्थान से जांच करा कर तत्काल सभी दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो. सिर्फ दिखावा नहीं. जांच रिपोर्ट sarwajanik हो.
बिलकुल करेकट है! पुरी दाल काली है! ऊसको करनाटक पोलीस या नान bjp state police को सोप दो ! पुरा सच ऊगल देगा! कांडमे पुरा सम्मिलित है! हालाखी यही सरगणा है!
I am proud of upsc chairman 's resign, Public ko bhi koi objection nhi hona chahiye Esliye to hm sb bjp ko 3rd time chunav mai jitva kr laaye hai Koi nhi yaaro, Bharat vishvguru to bn hi rha hai modi-g ke netrtv mai