पुरन दा (पुरन सिंह राठौर) मेरे संज्ञान में एक मात्र साध्य नाम है भगनोल, बैर विधा के लिए बिल्कुल एक एक मुर्की सटीक और संतुलित रहती है उनकी । ये विधा डायनासोर की तरह विलुप्ति की कगार पे थे एक बार फिर से सुनने को मिला अच्छा लगा। एक बार मेरा भी सामना हुआ था पुरन दा के साथ भगनोल 2014 से होते आ रहे थे। 2017 में भग्नोल से बैर तक पहुंच गए और वो दिन था आधा घंटा उनके साथ गाने के बाद हार माननी पड़ी थी।।
इसको कहते हैं भगनौल। ठेठ कुमाऊनी। ऐसे-ऐसे कलाकार हमारे उत्तराखंड में जन्मे हैं तो फिर हमें किस बात कमी।।मजा आ गया सुन के। धन मेरो पहाड़ा धन मेरो कुमाऊं।। मेंखीमसिह लुधियाना से।हम आपके इस तालमेल को नमन करते हैं।
ननस्कार हो पुरन दा रमेश दा ।भौतै बड़ी तुमेरि जोड़ि ।मौत बड़ी लागौ दाज्यू तमर य भगनौल ।जागरि। धन्यवाद जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए। में खीमू लुधियाना बै।।
बहुत बडिया। टोलिया जी ने जो हमारी संस्कृति को बचाये रखने के लिए भगनोल कलाकारो को एकत्रित करके एक बार फिर से हमारी ईस संस्कृति का उदधार किया है। ये है असली जवाब सवाल के साध भगनौल। बहुत बडिया रमेश जगरिया व पुरन सिह जी के द्धारा गाया। बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं। दातुलैकी धारअ ।कांड कमस्यारा।ज्वार मुनस्यारा। आज दिगो हमार संस्कृति क फिर करी हाछ उतधारा।
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चांदनी इंटरप्राइज की तरफ से जो भी गीत संगीत प्रस्तुत किए जाते हैं उनका लेवल/क्वालिटी ए प्लस कैटेगरी का होता है. इसका श्रेय श्री तोलिया जी को जाता है उनका कुमाऊं संस्कृति प्रेम को बयां करने की जरूरत नहीं वह उनके काम से झलकता है . उनका धन्यवाद करना चाहूंगा क्योंकि उनका जो सिलेक्शन है वह काबिले तारीफ है. आशा करता हूं आगे भी यही चीज जारी रहेगी और हमारी ठेठ कुमाऊनी संस्कृति को बचाए रखेंगे... श्री रमेश जगरिया जी के टीम ने तो कमाल ही कर दिया सारे भाइयों को शुभकामनाएं.... .
पूरन सिंह और रमेश सिंह की आवाज में कितनी जबरदस्त मधुर संगीत सुनने को मिलता है बहुत मजा आ गया आनंद शांति अपने उत्तराखंड का खर्चा जय हो मेरे उत्तराखंड देव भूमि मेरे उत्तराखंड की संस्कृति जय हो
I guess Im asking randomly but does anyone know a way to get back into an Instagram account?? I stupidly forgot the account password. I love any assistance you can give me!
आज मेरे दिल में इस चैनल के लिए 50% इज्जत और बड़ गई हम चाहते है ऐसे folk सुनने को मिले लेकिन कोई हम तक पहुंचा नी पता पर चादिनी इंटरप्राइजेज ने ये किया धन्य है आपके लिए हम आशा करते है हमको आगे भी ऐसे folk सुनने को मिलते रहे।। जय उत्तराखंड
अहा क्या सवाल जवाब 💖💖 क्या संदेश दिए आप दोनों महानुभावों ने आपको सलाम ।।🙏🙏 हमारी लोकगायकी की श्रेणियों में से सबसे मज़ेदार गायकी है ये भगनौल ।।😍😇 आनंद आ गया रमेश दा और पूरन दा जी रेया 🙏🙏🙏💖💖
दीगो ला दाज्यू जस तुमिले हमार गीत बार ( भागनोल, जागर फाग, छपेली, झोड़ा, चांचरी) संजोयी रख्यान इतू भल के हमन हमरी संस्कृति दीगाड़ जो तुमि हमून के मिलुन रा छा खुटी सलाम छ दाज्यू तुमु के 😊🙏🙏🙇
ये वास्तव में आपके द्वारा सराहनीय प्रयास है हमारे लुप्त होती थाती को जगाने का काश ये गीत बैर भगनोल सुनाई देते हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में और बड़े बड़े मेलों में तो बात होती मगर दुख इस बात का है कि संस्क्रति के नाम पर जो फूहड़ पन हमारे मंचो व कलाकारों द्वारा परोसा जाता है यह हमारी थाती को पतन के अथाह गर्त में धकेल रहा है
पूरी टीम को कोटि-कोटि नमन बहुत अच्छा लगता है जब कोई हमारी पुरानी विधाओं को हमारी संस्कृति को लोगों के बीच में लाता है आज के इस बनावटी आधुनिकता के दौर में हमारी वास्तविक पहचान विलुप्त हो रही हैं ऐसे में जो लोग भी विधाओं को परंपराओं को संस्कृति को लोगों को अवगत करा रहे हैं ऐसे सभी कलाकारों को को मेरा मेरा दंडवत प्रणाम गोपाल गोस्वामी
वाह❤ यह सुनते ही अपना बचपन याद आ गया जब पिताजी और दादा जी आकाशवाणी के नजीबाबाद केंद्र को सुना करते थे धन्यवाद आप लोगों का जिन्होंने एक कर्ण प्रिय गीत भगनौल गाया है
बहुत खूब बहुल अलग। सुन क् ऐसा लगा जैसे आज गांव क् 4 लोग बैठ के गा रहे हैं। बहुत ही बढ़िया पेशकश और रणजीत भेजी को धन्यवाद ऐसी पेशकश पहाड़ो से बटोर के लाने के लिए ।
रमेश चाचा जी आवाज को तो सुनने का ही मन करता है कितनी मिठास है आवाज में हमारे उत्तराखंड सरकार को लोक कलाकार को प्रोत्साहन करना चाहिए कुछ कलाकार आर्धिक समस्या के चक्र में अपनी हुनर नहीं देखा पाते
Bhai logo dhany ho gyi me yh bhagnol sun k.aankh me aanshu aa gye.bachapan me har koi jnglou me jakr hr koi bhagnoul gata tha.un dinou me kho gai.bhai chodna mt yh kaam ab.please
दिल खुश हो गया सुनकर रमेश जगरिया जी के सभी सोंग्स मुझे बहुत पसंद आते है लेकिन इस न्योली को सुनकर आज पहली बार कॉमेंट्स कर रहा हूं वीडीयो मै दिल खुश हो गया
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सुन्दर ।बहुत पुरानी याद ताजा हो गई जब देबीधुरा असाडी कौतिक में रातभर बड़े बुजुर्ग लोगों सेभगनौल सुने थे जो शिर में बड़ा साफा बाध कर हाथ में लम्बी छड़ी लेकर भोर होने तक गाते थे। इस विधा को जीवित रखने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यावाद।
बहुत ही सुन्दर दाज्यू भगनौल के माध्यम से संस्कृति को सुरक्षित रखने का प्रेरणादाई संदेश।नवीन टोलिया सर जी का बहुत बहुत आभार जो हमारी कुमाऊं के विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
जिन भाईयों को समझ नही आ रहा है । उनके लिए : भगनोल कुमाऊँनी संगीत की वो विधा है जिसमें किसी एक या अनेक स्थिति पर एक तरफ से प्रश्न उठाये जाते है दूसरी तरफ से जवाब दिये जाते है । वो जवाब समालोचित या आलोचित हो सकते है तथा पूर्णतः चिंतन करते हुए कहे जाते है । यहाँ पर कुमाऊँ सँस्कृति में बाहरी सँस्कृति का प्रभाव केंद्र मानकर ये विधा प्रस्तुत की जा रही है ।
Super bhagnol geet. Jisse hmm appne dil k sbdu ko ya devbhumi sanskirti sbhiyta jo uske khilaap ho rha kaam ko iss geet k maadhiyam se Byaaa krty h. Super
ramesh daadi or puran daadi tim 1000000 saal jiya yah myar harnath gwal devta gangnath devta or veer devta aashirvad chhi daa tim amar rya tamar kalakari isee k. dikhan sunnan mai milte rahe (dhanyvad)
अाहाआआआ गजब एक बखत तो यस चिताईछी कि हम कभै नि सुण सकून भगनौल आब आपकी प्रस्तुति बरदान स्वरूप छू आपुक कृपा नई पीढ़ी कभै नि भुलेली आपुक नाम अमर रौल सम्पूर्ण टीम बहुते धन्यवाद