चुनाव मैदान में केवल भाजपा का प्रचार ही देखने को मिल रहा है विपक्षी पार्टियों के प्रचार में क्यों हैं कमी
आज मोदी करेंगे सहारनपुर में चुनावी जनसभा को सम्बोधित
सहारनपुर। लोकसभा 2024 का चुनाव बडा ही अलग दिख रहा है 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होते ही प्रशासन हरकत में आया और तामाम राजनीति पार्टियों के हॉर्डिंग बैनर पोस्टर उतार दिए गए वहीं पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होना हैं जिसमें सहारनपुर की लोकसभा सीट भी शामिल हैं। सहारनपुर में भारतीय जनता पार्टी ही एक मात्र पार्टी चुनाव मैदान में अपना प्रचार करती दिख रही है। जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता कई सम्मेलनों में दिखाई दे रहे है जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रबुद्ध जन सम्मेलन के माध्यम से भाजपा प्रत्याशी राघव लखन पाल शर्मा के लिए वोट करने की अपील जानता से कर गए है वहीं भाजपा के मंत्री सहारनपुर में डेरा डाले हुए है और लागातार कार्यक्रम अयोजित हों रहें हैं। इसी कड़ी में 6 अप्रैल शनिवार को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी चुनावी जनसभा को करने के लिए सहारनपुर के दिल्ली रोड़ स्थित रेनबो स्कूल के निकट पुराने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रांगण में पहुंच रहें हैं । जिसमें उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी भी जनसभा को सम्बोधित करेंगे। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों के द्वारा प्रचार प्रसार कहीं दिखाई नहीं दे रहा है । और न ही बसपा व गठबंधन का कोई बडा नेता अभी तक सहारनपुर में किसी तरह की न तो सभा करने पहुंचा और न ही कोई प्रैस वार्ता करने के लिऐ सहारनपुर पहुंचा है। हालाकि सहारनपुर में त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है जिसमें मुस्लिम समुदाय से दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं एक बसपा के माजिद अली और गठबंधन के इमरान मसूद वहीं भाजपा के राघव लखन पाल शर्मा हिन्दू समुदाय से आते है और भाजपा के मजबूत कैंडिडेट माने जा रहे हैं जो लागातार तूफानी प्रचार करते दिख रहें हैं । वहीं बसपा और गठबंधन के प्रचार में धीमी से भी धीमी गति देखने को मिल रही है। वहीं मोदी की चुनावी रैली से भाजपाइयों में और जोश भरे जानें के कयास लगाए जा रहे हैं। अब देखना होगा की क्या मोदी 2024 के चुनाव में 2014 वाला जोश जानता में भर पाते है या नहीं क्योंकि 2014 में ही राघव लखन पाल शर्मा सहारनपुर से भाजपा के सांसद बने थे। जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें बसपा के हाजी फजलूरहमन ने हरा दिया था। वहीं कई बार चुनाव लड़ चुके इमरान मसूद लागातार हार का सामना कर रहे हैं लेकिन फिर भी शान्त नहीं बैठे और इस बार गठबंधन से चुनाव मैदान में उतरे हैं हालाकि उन्होंने कई पार्टी बदली और एक बार फिर कांग्रेस में आए और चुनाव लड़ रहे हैं । वहीं जानता को भी लगने लगा है की इमरान मसूद केवल सत्ता पाने के लिए कभी इस डाल तो कभी उस डाल पर कूद फांद कर रहें है हासिल कुछ हो नहीं रहा हैं। मेयर के चुनाव में इमरान मसूद बसपा में आ जाते हैं और अपनी भाबी को मेयर पद का उम्मीदवार बनाते है जहां उन्हे भाजपा के डा अजय कुमार के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं बसपा अपने दलित मुस्लिम वोट बैंक के चलते अकेले चुनाव मैदान में उतरी है जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन से 10 लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। हालाकि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा का यूपी से सूपड़ा ही साफ़ हो गया था केवल एक सीट ही जीती थी ऐसा बसपा के साथ क्यों हुआ शायद इसका मंथन पार्टी सुप्रीमों मायावती ने नही किया और किया भी होगा तो उसका समाधान भी खोजा होगा । बहराल अब अकेले चुनाव लड़ रहे हैं तो देखना होगा की क्या बसपा इस बार लोकसभा चुनाव में पिछली बार के जितनी सीटे जीतेगी या उससे भी अधिक ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल तो चुनाव प्रचार में केवल और केवल भाजपा ही दिखाई दे रही है उनके नेता दिखाई दे रहे हैं और मुख्यमंत्री के बाद प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी चुनावी जनसभा को सम्बोधित करने 6 अप्रैल को सहारनपुर पहुंच रहें हैं। वहीं विपक्षी पार्टियों के नेताओ का कोई प्रचार प्रसार दिखाई नहीं दे रहा है।
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24 окт 2024